अटपटे बयान देनेवाले भाजपा नेताओं की श्रेणी में यूपी के उपमुख्यमंत्री की जोरदार एंट्री

कहा, माता सीता का जन्म टेस्ट ट्यूब बेबी टेक्नोलॉजी का परिचायक

लखनऊ। समाचार एजेंसी
अटपटे बयान देनेवाले भाजपा नेताओं की श्रेणी में जोरदार एंट्री करते हुए उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने लाइव टेलीकास्ट से टेस्ट टयूब बेबी तक की टेक्नोलॉजी को प्राचीन काल से इस्तेमाल में लाने की बात कही। इसके लिए उन्होंने रामायण काल में माता सीता के घड़े से हुए जन्म को तब के दौर की टेस्ट ट्यूब बेबी टेक्नोलॉजी का परिचायक रहने का तर्क भी दिया। अपने इस बयान से डॉ शर्मा सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे हैं, हिंदुत्ववादी संगठनों ने भी इस कड़ी नाराजगी और आपत्ति जताई है।

क्षेत्रीय स्किल प्रतियोगिता के उद्घाटन समारोह में डॉ शर्मा ने कहा कि प्राचीन काल में भी भारत में टेक्नोलॉजी मौजूद थी। महाभारत और रामायण काल में लाइव टेलिकास्ट से लेकर टेस्ट ट्यूब बेबी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता था। जिस तरह कुरुक्षेत्र में हो रहे महाभारत के युद्ध का सजीव वर्णन संजय ने हस्तिनापुर के महल में बैठकर किया, वही आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का लाइव टेलिकास्ट है। आज अगर हम विमान की बात करते हैं तो रामजी के समय में पुष्पक विमान हुआ करता था, जिस पर सवार होकर वह लंका से अयोध्या पहुंचे थे। इसी तरह सीता जी का जन्म एक घड़े से होने का भी जिक्र है, जो आज की टेस्ट ट्यूब बेबी टेक्नोलॉजी रही होगी। राजा जनक जी के हल चलाने पर जमीन से एक घड़ा निकला और उसमें सीता जी निकलीं। वह कहीं न कहीं टेस्ट ट्यूब बेबी जैसी टेक्नोलॉजी रही होगी।

इतना ही नहीं उपमुख्यमंत्री शर्मा ने दावा किया कि, मोतियाबिंद का ऑपरेशन, प्लास्टिक सर्जरी, गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत, परमाणु परीक्षण और इंटरनेट जैसी तमाम आधुनिक प्रक्रियाएं पौराणिक काल में ही शुरू हो गई थीं। अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता दिवस के मौके पर कई जिलों के कार्यक्रम में गया। वहां बहस छिड़ी हुई थी कि आज मीडिया कितना विकसित हो गया है। मैंने कहा नहीं, भारत में यह पौराणिक काल से ही मौजूद है। विदेशों में अगर यह तकनीक अब विकसित हुई तो अलग बात है। हमारे देश में पत्रकारिता की शुरुआत महाभारत काल में ही हो गई थी। उन्होंने अपनी बात के पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि पौराणिक पात्रों संजय और देवर्षि नारद को वर्तमान समय में सीधे प्रसारण और गूगल से जोड़कर देखा जा सकता है। हमारा तकनीकी ज्ञान काफी पुराना है, जिसका आधार था कौशल विकास। व्यक्ति के हिसाब  से ही उसके काम का विभाजन था, लेकिन अंग्रेजी नीति के कारण उस विभाजन में कहीं न कहीं विकृति और विसंगति आ गई।