सर्कस में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करें : पी टी दिलीप

पुणे : समाचार ऑनलाइन – भारतीय सर्कस में अब प्राणियों का इस्तेमाल नहीं होता, लेकिन आज भी सर्कस की लोकप्रियता बनी हुई हैं। इसका सारा श्रेय मैं सर्कस के कलाकारों को देता हूं। बदलते वक्त में सर्कस के कलाकार विदेशी सर्कस की ट्रेनिंग ले और उनकी कलाओं को आत्मसात करें। इसके अलावा आधुनिक तकनीक, लाइट इफेक्ट्स व म्यूजिक का इस्तेमाल करें। यह भारतीय सर्कस के जनक विष्णुपंत क्षत्रे के लिए श्रद्धांजलि होगी। यह सुझाव रेम्बो सर्कस के मालिक पी.टी. दिलीप ने दिया है।

भारतीय सर्कस के शिल्पकार विष्णुपंत क्षत्रेने 26 नवंबर 1882 में मुंबई के बोरीबंदर में पहला शो किया था। उसके 136 साल पूरे हो गए हैं। विश्व सर्कस का यह 250वां वर्ष है।इस अवसर पर पुणे के मगरपट्टा सिटी के पास मुंढवा रेलवे ओवरब्रिज के पास चल रहे रेम्बो सर्कस में भारतीय सर्कस स्थापना दिवस उत्साह के साथ मनाया गया ।इसी मौके पर वे बोल रहे थे। विष्णुपंत क्षत्रे के वारिस अजय व कल्पना क्षत्रे, अंतर्राष्ट्रीय सर्कस खिलाड़ी दामू धोत्रे के पनाती आनंद धोत्रे, सर्कस विश्व व वर्ल्ड ऑफ सर्कस के लेखक प्रवीण प्र।वालिंबे को शॉल व पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया।

पुणे के मगरपट्टा सिटी के पास मुंढवा रेलवे ओवरब्रिज के पास चल रहे रेम्बो सर्कस में भारतीय सर्कस स्थापना दिवस उत्साह के साथ मनाया गया। इस दौरान बाएं से आनंद धोत्रे, रेम्बो सर्कस के पार्टनर सुजीत दिलीप को सम्मानित करते रेम्बो सर्कस के मालिक पी.टी.दिलीप, सर्कस विश्व कप द वर्ल्ड ऑफ सर्कस के लेखक प्रवीण प्र.वालिंब व फ्रेंड्स ऑफ सर्कस के महासचिव प्रवीण तरवडे उपस्थित थे।