वॉलमार्ट से डरे व्यापारी करेंगे देशव्यापी हड़ताल

नई दिल्ली: वॉलमार्ट-फ्लिपकार्ट डील से डरे व्यापारियों और छोटे कारोबारियों ने आने वाले दिनों में देशव्यापी हड़ताल की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि वॉलमार्ट की भारत में एंट्री से उनकी कमाई काफी कम रह जाएगी। आपको बता दें कि पिछले महीने वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट में 77 फीसदी हिस्सेदारी 16 अरब डॉलर में हासिल की थी। इसे ई-कॉमर्स क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी डील में से एक माना जा रहा है। छोटे और मंझोले व्यापारियों को इस सौदे से सबसे ज्यादा डर है, उन्हें लगता है कि वॉलमार्ट सस्ते दामों पर सामान देकर बाज़ार को बिगाड़ देगी। जिससे उनके सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो जायेगा।

क्या है रणनीति
अमेरिका की यह रिटेल कंपनी बेहद ख़ास रणनीति के तहत आगे बढ़ती है। वॉलमार्ट उपभोक्ताओं को कम कीमत पर सामान देकर बिजनस मार्जिन को बेहद कम कर देती है। जिसके चलते बाकी व्यापारियों के लिए बाज़ार में बने रहना काफी मुश्किल हो जाता है। शुरुआत में इसी रणनीति के तहत काम करने के बाद जब बाज़ार पूरी तरह प्रभावित हो जाता है तो वॉलमार्ट धीरे-धीरे कीमतों में इजाफा करके प्रॉफिट बढ़ा लेती है।

नहीं सुनी सरकार ने
भारत में सभी छोटे व्यवसायियों का प्रतिनिधित्व करने वाली स्वतंत्र संस्था कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खंडेलवाल का कहना है कि ई-कॉमर्स क्षेत्र में सुधार के लिए हम पिछले पांच साल से सरकार का दरवाजा खटखटा रहे हैं, लेकिन उसने हमारी नहीं सुनी। इससे उत्साहित होकर वॉलमार्ट ने फ्लिपकार्ट को खरीदा और अप्रत्यक्ष रूप से रिटेल ट्रेड में उतर गया। यह सौदा ई-कॉमर्स समेत रिटेल सेक्टर का शोषण और नियंत्रण करने के लिए कानून से छेड़छाड़ पर आधारित है।

…तब था कानूनी पेंच
आपको बता दें कि वॉलमार्ट चार साल पहले भारतीय बाजार में उतरी थी, लेकिन तब उसने खुद को सिर्फ कैश एंड कैरी थोक कारोबार तक ही सीमित रखा था। ऐसा उसे विदेशी निवेश को लेकर सरकार की पाबंदियों की वजह से करना पड़ा था। मोदी सरकार ने खुदरा ई- कॉमर्स क्षेत्र में 100 फीसदी विदेशी निवेश की इजाजत दी है। इस वालमार्ट जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के लिए देश में अप्रत्यक्ष तौर पर व्यापार करने के लिए रास्ता खुल गया है।

बर्बादी की आशंका
ट्रेडर्स का कहना है कि वालमार्ट ऑनलाइन मार्केट के जरिए देश के ऑफलाइन बाजार में उतरेगी, जिससे छोटे रिटेलर्स का धंधा चैपट हो जाएगा। यह बहुराष्ट्रीय कंपनियां दुनिया में कहीं से भी सामान लाएंगी और देश को डंपिंग ग्राउंड बना देंगी। ऐसे में भारतीय कंपनियां, प्रतिस्पर्धा में पिछड़ जाएंगी। उनके धंधे-कारोबार बर्बाद हो जाएंगे।