चाबहार को ईरान पर लगी प्रतिबंधों से मुक्त रखने का स्वागत 

संयुक्त राष्ट्र : समाचार ऑनलाइन – चाबहार परियोजना को ईरान के खिलाफ लगाई गई सख्त पाबंदियों से परे रखने के अमेरिकी फैसले का अफगानिस्तान से स्वागत किया है। भारत समर्थित चाबहार बंदरगाह परियोजना अफगानिस्तान के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। चाबहार तक पहुंच के बिना अफगानिस्तान को समुन्द्र मांग के लिए पाकिस्तान पर निर्भर होना पड़ेगा।

सुरक्षा परिषद् में सराहा
संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के स्थायी प्रतिनिधि महमूद सैकल ने सुरक्षा परिषद् को बताया, चाबहार बंदरगाह के मामले में हम अपने रणनीतिक साझेदार अमरीका के सहयोग और लचीलेपन की सराहना करते हैं। उन्होंने अफगानिस्तान, ईरान और भारत के साथ काम करने को लेकर इस बंदरगाह को छूट दी है।

भारत का अहम् प्रयास
सैक़ल ने कहा, अफगानिस्तान चाबहार बंदरगाह अफगानिस्तान, मध्य एशिया और उससे परे हिन्द महासागर को जोड़ते हुए व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य पहुंच प्रदान करने के लिए अहम् द्वार बना रहेगा। भारत ईरान में इस बंदरगाह परियोजना और अफगानिस्तान को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए 50 करोड़ डॉलर का निवेश कर रहा है। भारत इस बंदरगाह के जरिये अफगानिस्तान को 11 लाख टन गेहूं भेज चुका है।

काबुल का सहयोग
अमेरिका ने पिछले महीने चाबहार बंदरगाह को ईरान पर लगाए गए प्रतिबंधों के दायरे से बाहर रखने की घोषणा की थी। उसने भारत को अफगानिस्तान के साथ जोड़ने वाली रेल लाइन के निर्माण को भी छूट दी थी। हालांकि अमेरिका ने ईरान के खिलाफ बेहद शख्त प्रतिबन्ध लगाए हैं, लेकिन उसने ईरान के रणनीतिक रूप से अहम् चाबहार बंदरगाह को इसलिए प्रतिबंध मुक्त रखा ताकि भारत अफगानिस्तान का सहयोग करने में सक्षम रहे।

अमेरिकी विदेश विभाग ने चाबहार बंदरगाह को पाबन्दी से बाहर रखने का एलान करते हुए पिछले महीने कहा था कि यह अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण, सहयोग और आर्थिक विकास से संबंधित है। ये गतिविधियां अफगानिस्तान के विकास और मानवीय राहत के लिए चल रहे सहयोग के लिए हैं।

ईरान के खिलाफ सख्ती
ईरानी शासन की गतिविधियों को नियंत्रित करने के मकसद से अमरीका ने उस पर अभी तक की सबसे कठिन पाबंदियां लगाई हैं। पाबंदियों में ईरान की बैंकिंग और ऊर्जा क्षेत्रों को शामिल किया गया है। साथ ही यूरोप, एशिया तथा अन्य देशों की कंपनियों दवारा ईरानी तेल आयात बंद नहीं करने पर उनके खिलाफ जुर्माना लगाना शामिल है।