अलवर में ट्रेन के आगे छलांग लगाकर ‘सामूहिक आत्महत्या ‘की क्या है सच

अलवर : समाचार ऑनलाइन – अलवर में युवाओं के ‘सामूहिक आत्महत्या ‘ के दिन क्या हुआ था ? 20 नवंबर को रात के साढ़े ग्यारह बजे छतीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाके कोंडा में एक फोन बजा सशस्त्र सीमा बल के इस कैंप में जवान नेमचंद मीणा थोड़ी गहरी नींद में थे इसलिए उनसे कॉल मिस हो गई। दूसरी कॉल पर आँख खुली और जो खबर सुनी तो सीधे कैंप अफसर के घर भागे। अलवर, राजस्थान से मँझले भाई का फोन आया था,”हमारा भाई सत्यनारायण अब इस दुनिया में नहीं रहा। बाबूजी को घर पर नहीं बताया है लेकिन कुछ देर पहले उसका शव ट्रेन की पटरियों से बरामद है।

बड़ी मुश्किल से पहचान हो सकी है। “छतीसगढ़ के इस इलाके में रात के वक़्त सुरक्षाबलो के सफर पर भी पाबंदी रहती है,इसलिए नेमचंद ने खुली आँखों से ही पौ फटने का इंतजार किया और चार बजे जबलपुर,आगरा और दौसा होते हुए 24 घंटे बाद घर पहुँचे। उसी रात अलवर जिले के बहड़को गांव में रहने वाले राजस्थान पुलिस के हेड -कांस्टेबल बाबूलाल मीणा के घर भी अलवाल के एक निजी अस्पताल से फोन आया, “आपका बेटा ऋतुराज गंभीर हालत में है, जल्दी पहुँचो।”बाबूलाल मीणा फोन रख, पत्नी के साथ घर से निकले ही थे कि अलवर के ही पुलिस थाने से फोन आया और उन्हें वहाँ पहुंचने के लिए कहा गया। इसी तरह के फोन दो और युवकों, मनोज मीणा और अभिषेक मीणा, के घर भी गए। अगले डेढ़ घंटे बाद सत्यनारायण, ऋतूराज और मनोज मीणा के घर वाले उनके शवों के किनारे खड़े दहाड़ें मार रो रहे थे और अभिषेक के घर वाले, पुलिस के साथ, एक एम्बुलेंस में गंभीर रूप से घायल इस युवक को लेकर राजधानी जयपुर के रास्ते में थे।

ट्रेन के आगे लगाई छलांग 
दरअसल, 20 नवम्बर की शाम इन चार युवको जिनकी आयु 17 वर्ष से 24 वर्ष के बीच की थी ने अलवर रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली जयपुर-चंडीगढ़ एक्सप्रेस के सामने छलांग लगा दी थी ।