जब दरोगा ने दिलाया बेटे को मां की जिम्मेदारी का अहसास…

मुजफ्फरनगर। एजेंसी

पुलिस शब्द जब बोला जाता है, तो खाकी का जो चेहरा आम आदमी के जहन में उभरता है, वो नकारात्मकता को प्रदर्शित करता है। गालियां देकर थानों से पीड़ितों को भगाना, फरियादियों को लठियाते हुए रौब गालिब करना। हमेशा आरोप लगते हैं कि पुलिस बददिमाग होती है, थाने में आने वाले लोगों के साथ असभ्य व्यवहार किया जाता है, असंसदीय भाषा का प्रयोग कर अपमानित किया जाता है, लेकिन मुजफ्फरनगर में पुलिस का चाल, चरित्र और चेहरा बदला है। जिले में पुलिस कप्तान आईपीएस अनंत देव ने मुख्यमंत्री के ‘गुड गवर्नेस’ की महत्वकांक्षा को जनपद में ‘गुड पुलिसिंग’ के रूप में लागू कराने का काम किया है। ऐसे कई प्रकरण उनके कार्यकाल में सामने आये, जिन्होंने पुलिस की मानवीय छवि को उजागर करने का काम किया है। ऐसा ही एक मामला थाना कोतवाली नगर क्षेत्र में देखने को मिला।

समय रात के करीब 8 बजे थे, शहर कोतवाली क्षेत्र के अन्तर्गत रामलीला टिल्ला पुलिस चौकी पर चौकी इंचार्ज एसआई राजेन्द्र वशिष्ठ अपने कार्य में व्यस्त थे, इसी बीच एक बुजुर्ग महिला पर उनकी निगाह पड़ी, जिसके चेहरे पर परेशानी झलक रही थी। वो बुजुर्ग महिला इतनी कमजोर थी कि सीढ़ियां चढ़ने का प्रयास लगातार करते हुए लड़खड़ा रही थी। ये देखकर एसआई राजेन्द्र वशिष्ठ ने सिपाही को बुलाकर बुजुर्ग महिला को सहारा देने के लिए कहा। सिपाही महिला को लेकर उनके पास पहुंचा। वशिष्ठ ने बुजुर्ग महिला को पहले पानी पिलाया। पानी पीते ही महिला की आंख से आंसू निकल पड़े। कारण पूछा तो महिला ने रूआंसू लहजे में कहा कि बेटा ये पानी सीधे मेरे पेट में जाकर लगा है। महिला ने बताया कि उसका बेटा एक फैक्ट्री में नौकरी करता है, बहू बहुत परेशान करती है। उसको दो दिन से कुछ भी खाने को नहीं दिया। आज वो मेरे पोता-पोती को खाना खिला रही थी। मैं देख रही थी, मुझे खाना नहीं दिया। जब बच्चों ने खाना खा लिया तो मैंने बहू से पूछा कि बच्चों के खाने से कुछ बचा हो तो मुझे दे दो। इस बात पर बहू यह कहते हुए लड़ने लगी कि तू मेरे बच्चों के खाने पीने पर भी नजर रखती है, मुझे मारपीट के निकाल दिया। मेरा बेटा भी बहू का साथ देता है।

बुजुर्ग महिला की बात सुनकर एसआई राजेन्द्र वशिष्ठ को अफसोस हुआ और गुस्सा भी आया, उन्होंने तुरन्त सिपाही से इस बुजुर्ग महिला के लिए खाना मंगवाया और बैठाकर खिलाया भी उसके बाद राजेन्द्र वशिष्ठ स्वयं इस महिला के घर गये और उसके लड़के जो शराब के नशे में था लेकर चैकी आ गये। बेटा आया तो उसकी मां से बातचीत करायी गयी। बेटे को राजेन्द्र वशिष्ठ ने मां के रूतबे को समझाया। उसको उसकी जिम्मेदारी का अहसास कराया, तो बेटा अपनी मां के साथ हुए व्यवहार पर शर्मिन्दा होकर रोने लगा। मां को गले लगाया और वादा किया कि वो रोज सुबह और शाम अपनी मां के साथ बैठकर खाना खायेगा। इसी बीच वृद्धा की बहू भी चौकी पर पहुंच गयी और उसके पति को उठाकर लाने पर हंगामा करने लगी। अपनी सास को बुरा भला कहा तो उसके पति ने उसको वहीं पर खरी-खोटी सुनाते हुए हड़काया और मां को सहारा देकर घर की ओर चल पड़ा। वो बुजुर्ग महिला दरोगा राजेन्द्र वशिष्ठ के सिर पर हाथ फेरकर सैंकड़ों दुआएं देते हुए अपने बेटे और बहू के साथ चली गयी।

क्राईम कैपिटल में करीब करीब एक साल के अपने कार्यकाल में एसएसपी अनंत देव ने जिस सूझबूझ और चाणक्य नीति को अपनाते हुए क्राईम कंट्रोल करने में जिस हद तक सफलता अर्जित की, वो अप्रत्याशित और अचम्भित करने वाली रही। इसके साथ साथ उन्होंने पुलिस के चेहरे को बदलने का काम किया है। आज पुलिस के प्रति जनविश्वास बढ़ रहा है। एसएसपी देव की कार्यशैली की बात करें तो वो प्रति कार्य दिवस में चार थानों के सिपाहियों को बुलाकर उनसे मुलाकात करते हैं। उनके साथ बैठक कर उनके क्षेत्र के अपराधियों के बारे में फीडबैक लेने के साथ ही क्राईम कंट्रोल के फार्मूले पर रणनीतिक चर्चा होती है।  इस बातचीत में पुलिस का व्यवहार आम जनमानस के साथ कैसा हो, इस पर भी जोर देते हैं। उनकी पहले दिन से ही यह कोशिश रही है कि जनपद में पुलिस को ‘पुलिस मित्र’ बनाया जा सके। थानों में भले ही शत प्रतिशत बदलाव नजर ना आये, लेकिन आज बहुत कुछ बदला है। पुलिस का व्यवहार थानों में सुधारात्मक दिख रहा है।