आंदोलन के लिए नगरसेवक दोषी तो स्वाइन फ्लू की जिम्मेदारी किसकी?

राहुल कलाटे की 20 मरीजों की मौत को लेकर सदोष मनुष्य वध का मामला दर्ज करने की मांग
पिंपरी। पुणे समाचार ऑनलाइन
आवारा पशुओं के उपद्रव से पिंपरी चिंचवड़ शहरवासियों को आ रही दिक़्क़तों की ओर ध्यानाकर्षित करने के लिए सभागृह में कुत्ते के पिल्ले लाने की कोशिश पर खासा हंगामा मचा। बजाय प्रशासन से जवाब मांगने के सत्तादल और विपक्ष आपस में ही टकरा गए। सत्तादल के कहने पर आंदोलन करनेवाले विपक्षी नगरसेवकों के खिलाफ पुलिस में मामले दर्ज कराए जा रहे हैं। अगर आंदोलन के लिए नगरसेवक दोषी हैं तो आंदोलन की नौबत लाने वाले प्रशासन के अधिकारी भी दोषी हैं। जिनकी लापरवाही के चलते आवारा पशुओं के उपद्रव से लोग घायल हो रहे हैं, मौत के मुंह मे जा रहे हैं, उनके खिलाफ़ भी मामला दर्ज किया जाना चाहिए, यह राय शिवसेना के गुटनेता राहुल कलाटे ने व्यक्त की।

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महापौर राहुल जाधव की अध्यक्षता में हुई इस सभा के आरंभ में विपक्ष के नेता दत्ता साने ने सभागृह में कुत्ते के पिल्ले लाने की कोशिश की। हांलाकि उन्होंने सत्तादल, प्रशासन की गुजारिश पर पिल्लों को सभागृह में नहीं छोड़ा। मगर भाजपा की सीमा सावले, आशा शेंडगे, नामदेव ढाके, विकास डोलस आदि ने बैग में बंद कर पिल्लों को लाने पर कड़ी आपत्ति जताते हुए साने के खिलाफ पेटा कानून के तहत मामला दर्ज करने की मांग की। विपक्ष के नेता ने खुद को ’96 कुली किसान’ बताकर अपनी भूमिका बता ही रहे थे कि उनके इस शब्द प्रयोग पर आपत्ति जताकर सत्तादल के सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया। इसके चलते यह सभा 27 सितंबर तक यह सभा स्थगित कर दी गई।

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इस मुद्दे पर छिड़ी बहस में शिवसेना के गुटनेता राहुल कलाटे ने शहर में आवारा कुत्ते, सुअर, मवेशी के उपद्रव को गंभीर प्रश्न बताकर कहा कि, प्रशासन न लोगों की सुनता है न जनप्रतिनिधियों की। इसके चलते आंदोलन की नौबत आती है, इसका विचार करना चाहिए। आज शहर में आवारा पशुओं का उपद्रव बढ़ रहा है, लोग घायल हो रहे हैं। स्वास्थ्य की समस्या गंभीर बनी है। मगर इस विभाग के मुख्य अधिकारी डॉ अनिल रॉय और डॉ पवन सालवे आपस में लड़ रहे हैं। सूअरों के उपद्रव के निषेध में शिवसेना के नगरसेवक एड सचिन भोसले ने डॉ रॉय की केबिन में सुअर लाकर छोड़ा था। आज विपक्ष के नेता दत्ता साने ने कुत्ते के पिल्ले लाये। शहर में स्वाइन फ्लू का फैलाव तेजी से हो रहा है, अब तक इसकी चपेट में आकर 20 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दोषी मानकर उनके खिलाफ सदोष मनुष्य वध का मामला दर्ज कराया जाना चाहिए।