जो फंसा कर्नाटक में वह खेला जा रहा दांव कश्मीर में!

पीडीपी में फूट डालने की कोशिश: 14 विधायक भाजपा के साथ

श्रीनगर। समाचार एजेंसी

जम्मू कश्मीर में मेहबूबा मुफ्ती की सरकार गिराने के बाद सत्तादल भाजपा वही दांव चलकर सत्ता के नए समीकरण बनाने में जुटी है जोकि कर्नाटक में पूरी तरह से फंस गया था। सरकार से बाहर निकलने के बाद भाजपा ने पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी यानी पीडीपी में फूट डालने में सफलता पायी है। दावा यह भी किया जा रहा है कि पीडीपी के 28 में से 18 विधायक भाजपा के साथ आने के लिए तैयार है।

इन सियासी संकेतों के ध्यान में आते ही मेहबूबा मुफ़्ती ने भाजपा को खुलेआम चेतावनी दी है। मगर सत्ता से बाहर होते ही पीडीपी के विधायकों के बदले हुए तेवर औऱ बागी सुर पार्टी में फूट पड़ने की खबर की पुष्टि कर रहे हैं। यही वजह है कि कर्नाटक की भांति कश्मीर में भी भाजपा द्वारा असन्तुष्ट विधायकों को साथ लेकर सत्ता के नए समीकरण बनाने में जुटने की चर्चा ने जोर पकड़ा है। हांलाकि कर्नाटक में उसका यह सियासी दांव विफल साबित रहा।

पीडीपी के विधायक भाजपा के साथ जाने की चर्चा को बल मिला है विधायक अब्दुल मजीद पद्दार के बयान से, जिसमें उन्होंने पीडीपी के 28 में से 18 विधायकों के भाजपा के संपर्क में रहने और नई सरकार की स्थापना की चर्चा जारी रहने के संकेत दिए। इससे पहले पीडीपी के असंतुष्ट नेता आबिद अंसारी ने पार्टी के 14 विधायक पार्टी छोड़ने की तैयारी में रहने की बात की थी। वहीं मेहबूबा मुफ्ती ने पार्टी में परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप विधायक जावेद हुसैन ने लगाया था।

यही नहीं गुलमर्ग के विधायक मोहम्मद वाणी ने भी भ्रष्टाचार और परिवारवाद के मुद्दे पर पार्टी छोड़ने की घोषणा की है। पीडीपी में शुरू आंतरिक मतभेद पार्टी में फूट पड़ने की ओर साफ इशारा कर रहे हैं। इसे बल अब्दुल पद्दार के बयान से मिला है। उनका बयान तब आया जब मेहबूबा मुफ्ती ने भाजपा को फूट डालने की कोशिश करने पर गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि, यदि 1987 की तरह केंद्र सरकार ने लोगों से मतदान का हक छिनने की कोशिश की तो और सलाउद्दीन और यासीन मलिक पैदा होंगे और हालात बेकाबू हो जाएंगे।