नहीं जल रही पराली, फिर दिल्ली में प्रदूषण का स्तर पंजाब से तीन गुना क्यों 

गौरव सूद : समाचार ऑनलाइन – दिल्ली में प्रदूषण के लिए वहा की सरकार हमेशा पंजाब को ही दोषी ठहराती रही है, लेकिन इस दिनों पंजाब में पराली नहीं जल रही। इसके बावजूद दिल्ली में प्रदूषण स्तर पंजाब से ढाई या तीन गुना ज्यादा है। पंजाब प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड (पीपीसीबी) ने दिल्ली सरकार की ओर से पंजाब को जिम्मेदार ठहराने के दावों पर सवाल खड़ा किया है।

दिल्ली में गाड़ियों व निर्माण कार्यों से हो रहे प्रदूषण ने दिल्ली सरकार के दावों की पोल खोल दी है। दिल्ली सरकार की ओर से बार-बार दावा किया जाता है कि पंजाब में धान की पराली व गेहूं की नाड़ जलाने से दिल्ली का वायु प्रदुषण खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है। लेकिन पंजाब में पराली जलने का सिलसिला काफी समय से बंद है। इसके बावजूद दिल्ली में औसत एक्यूआई स्तर 450 चल रहा है, जबकि पंजाब में यह 150 है। पंजाब के प्रमुख शहरों में एक्यूआइ दिल्ली के मुकाबले काफी बेहतर है। मौजूदा आंकड़े के हिसाब से पंजाब में मंडी गोबिंदगढ़ की हवा सबसे ज्यादा प्रदूषित है। बुधवार को मंडी गोडक्षबदगढ़ का एक्यूआइ 214 रहा, जबकि दूसरे नंबर पर लुधियाना जिला के शहर खन्ना का एक्यूआइ 211 रहा।  अन्य सभी शहरो का एक्यूआइ 200 से नीचे ही रहा।

2016 के मुकाबले आधे रह गए पराली जलाने के मामले
पिछले 3 वर्षो की बात करें तो पंजाब में वर्ष 2016 में पराली जलाने के 80879 केस, 2017 में 43660 केस और साल 2018 में करीब 38000 केस पीपीसीबी ने दर्ज किये। पंजाब हर साल पराली जलाने के केसों में निरंतर गिरावट आने के बावजूद दिल्ली सरकार प्रदुषण के लिए पंजाब को दोषी ठहराती रही है। पंजाब प्रदूषण नियत्रण बोर्ड के मेंबर सेक्रेटरी पवन गर्ग के अनुसार आंकड़ों से स्पषट है कि दिल्ली में प्रदूषण के लिए पंजाब में जली पराली नहीं, बल्कि दिल्ली की अपनी इंडस्ट्री, में का धुआं व निर्माण कार्य जिम्मेदार हैं।