आखिर कोर्ट ने क्यों दिया ट्रेन इंजन को ही जब्त करने का आदेश

नई दिल्ली | समाचार ऑनलाइन – रेलवे की एक परियोजना के लिए बीस साल पहले हुए एक जमीन के अधिग्रहण का लोगों को मुआवजा देने में विफल रहने पर कांचीपुरम की एक स्थानीय अदालत ने ट्रेन के इंजन और कलेक्टरेट के दो वाहनों को जब्त करने का आदेश सुना दिया। कांचीपुरम की इस अदालत के अधिकारियों ने रेलवे स्टेशन पर जाकर एक यात्री ट्रेन के इंजन को जब्त करने की कोशिश भी की।
दरअसल करीब 20 साल पहले रेलवे की एक परियोजना के लिए यहां जमीन का अधिग्रहण किया गया था लेकिन उसका मुआवजा अब तक नहीं दिया गया है। निचली अदालत के आदेश को पूरा करने के लिए उसके अधिकारी याचिकाकर्ताओं के साथ शुक्रवार को रेलवे जंक्शन पहुंचे और तिरुपति-पुडुचेरी फोस्ट पैसेंजर ट्रेन के इंजन को अपने कब्जे में लेने की कोशिश की।
जाने क्यों ट्रेन के इंजन बंद नहीं किये जाते है –
आपको बता दें कि स्टेशन से सफर के लिए जाने वाला इंजन लगातार चालू रहता है। चाहे कितनी भी देर हो जाए लोको पायलट डीजल इंजन को बंद नहीं करता है। क्युकि भारतीय रेलवे में आज भी आधे से ज्यादा इंजन डीजल से चलते हैं। हालांकि, भारतीय रेलवे अपने नेटवर्क में बिजली से चलने वाले ज्यादा से ज्यादा इंजन लाने की कोशिश में जुटा हुआ है। आने वाले समय में हमें भारतीय रेल में अधिकतर बिजली से चलने वाले इंजन देखने को मिल जाएंगे। अगर डीजल इंजन को बंद कर दिया जाए तो इसके कंप्रेसर पर गलत असर पड़ता है और इसका ब्रेकिंग सिस्टम भी फेल हो सकता है।
बता दें कि हर एक डीजल इंजन में एक बैटरी लगी होती है और ये बैटरी तभी चार्ज होती है जब इंजन चालू रहता है अगर ये बैटरी चार्ज न हो तो ट्रेन का लोको मोटिव सिस्टम फेल हो सकता है। रास्ते में लाल बत्ती आ जाने पर या किसी कारण वश ट्रेन के डीजल इंजन को बंद कर दिया जाए तो इंजन को फिर से चालू करने के लिए लगभग 20 मिनट लग जाते हैं। इन सबके अलावा डीजल इंजन को चालू करने के लिए काफी ज्यादा डीजल की जरूरत पड़ती है।