नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन – कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 तथा 35 A को हटाने पर कल लोकसभा में जोरदार बहस हुई. इस बीच, गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 371 के बीच के फर्क को स्पष्ट करते हुए, अनुच्छेद 371 के किसी भी प्रावधान को हटाने का सरकार का कोई इरादा नहीं है, यह भी स्पष्ट किया.
अनुच्छेद 370 व 371 हटाने से शाह का इंकार
अमित शाह ने लोकसभा में कहा कि, “विपक्षी नेता यह गलत जानकारी फैला रहे हैं कि, अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद केंद्र सरकार अब धारा 371 को भी हटाने वाली है.” उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि, “ मैं महाराष्ट्र और पूर्वोत्तर भारत के लोगों को आश्वस्त करना चाहूंगा कि, केंद्र सरकार का अनुच्छेद 371 को हटाने संबंधी कोई विचार नहीं है.” साथ ही अमित शाह ने यह भी कहा कि जनता अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 371 के बीच के अंतर को अच्छे से जानती है.
अमित शाह के मुताबिक, पंडित नेहरू ने कहा था कि, “अनुच्छेद 370 एक अस्थायी स्वरूप है. उचित समय आने पर यह खत्म हो जाएगा. लेकिन यह करने में 70साल बीत गए. लेकिन हम कश्मीर में स्थिति को सुधारने के लिए 70 साल बर्बाद नहीं करेंगे.”
क्या है अनुच्छेद 371
बॉम्बे पुनर्गठन अधिनियम, 1960 के संशोधन के अनुसार, धारा 371 (2) के तहत यह अधिनियम 1 मई, 1960 को महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों पर लागू किया गया था. तदनुसार, गुजरात राज्य के निर्माण के लिए कच्छ और सौराष्ट्र को मुंबई प्रांत से अलग कर दिया गया था. इसके बाद मुंबई राज्य का नाम बदलकर महाराष्ट्र कर दिया गया. साथ ही इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, विदर्भ और मराठवाड़ा प्रभागों का महाराष्ट्र में विलय कर दिया गया.