क्या इस भाई का चैलेंज स्वीकार करेंगे पीएम?

नीरज नैयर
पुणे: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली का फिटनेस चैलेंज स्वीकार किया था। अब एक भाई ने प्रधानमंत्री को चैलेंज दिया है। इस भाई का सवाल है कि क्या पीएम मोदी उसका चैलेंज स्वीकार करके उसे न्याय दिलाएंगे? मूलरूप से बिहार निवासी विकास के भाई ब्रिजेश कुमार की मौत पिछले साल अप्रैल में हुई थी। रेलकर्मी ब्रिजेश ट्रैक मैन की ट्रेनिंग के लिए पुणे आया था, लेकिन आरोपों के मुताबिक ट्रेनिंग के अलावा उससे मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) के बंगले की चाकरी भी करवाई जाती थी। ब्रिजेश मानसिक और शारीरिक रूप से इस कदर प्रताड़ित हो चुका था कि उसने नौकरी छोड़ने का मन भी बना लिया था, मगर पारिवारिक मज़बूरियों के चलते ऐसा नहीं कर सका और आख़िरकार उसे अपनी जान गंवानी पड़ी।

अब तक सदमे में है मां
विकास ने वरिष्ठ रेल अधिकारियों का दरवाज़ा भी खटखटाया, लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। पुणे समाचार से बातचीत में विकास ने कहा, “ब्रिजेश भाई घर में एकलौते कमाने वाले थे, उनके जाने से परिवार के सामने रोजी-रोटी का संकट आ गया है। हमारी मां अब भी सदमे में हैं। कोई हमारी सुनने वाला नहीं है, मैं प्रधानमंत्री और रेलमंत्री से अपील करता हूँ कि मुझे न्याय दिलाएं”।

नहीं दिया नोटिस का जवाब
पीड़ित पक्ष ने वकील के माध्यम से रेलवे को नोटिस भिजवाया था, जिसका अब तक रेलवे की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया गया है। इस संबंध में विकास ने कहा, मैंने वकील साहब से पूछा तो उन्होंने बताया कि अभी कोई जवाब नहीं आया है। उन्होंने यहाँ से कुछ होना संभव नहीं है, तुम पुणे जाकर केस करो।

दिल्ली जाने की तैयारी
ब्रिजेश कुमार का परिवार अब दिल्ली जाने की तैयारी कर रहा है। विकास ने कहा, हमारी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं है कि लंबी कानूनी लड़ाई लड़ सकें। अब तक यहाँ-वहां से करके जितना हो सका हमने किया, अब हम दिल्ली जाकर अपने भाई के लिए न्याय की मांग करेंगे। हमें पूरी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और रेलमंत्री हमारी पुकार सुनेंगे।

क्या हुआ था?
पीड़ित पक्ष के अनुसार, 29 अप्रैल को ब्रिजेश सहित कुछ कर्मचारियों को संगम पार्क स्थित डीआरएम आवास लाया गया। यहां उनसे मोटी-मोटी लकड़ियों को दीवार के दूसरी तरफ फेंकने आदि काम करवाए जा रहे थे, तभी ब्रिजेश की तबीयत ख़राब हो गई। साथी कर्मचारी उसे रेलवे अस्पताल लेकर गए, जहां से दवाइयां देकर उसे वापस काम पर भेज दिया गया। हालांकि ब्रिजेश की तबीयत सुधरने के बजाए बिगड़ती गई और उसने 13 अप्रैल को हड़पसर स्थित नोबल अस्पताल में दम तोड़ दिया। ब्रिजेश के एक सहकर्मी ने उस वक़्त बताया था कि उन्हें ट्रेनिंग के तुरंत बाद काम पर लगा दिया गया था, ब्रिजेश को तो खाना खाने का समय भी नहीं मिला था।