क्या इस पिता का चैलेंज स्वीकार करेंगे पीएम मोदी?

क्या इस पिता का चैलेंज स्वीकार करेंगे पीएम मोदी?

नीरज नैयर
पुणे: 62 वर्षीय शरतचंद्र रॉय अब पूरी तरह टूट चुके हैं। अपने जवान बेटे को खोने के गम में उनकी पत्नी की तबीयत भी ख़राब रहने लगी है। दोनों ने खुद को घर में ही कैद कर लिया है, न कहीं जाते हैं, न किसी से मिलते हैं। गुज़रते वक़्त के साथ-साथ उनकी ये उम्मीद भी टूटती जा रही है कि उनके बेटे को कभी इंसाफ मिलेगा। हालांकि, बीते दिनों जब उन्होंने विराट कोहली के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिए चैलेंज के बारे में पढ़ा, तो उन्हें लगा कि शायद पीएम उनका भी चैलेंज स्वीकार कर लें।

उम्मीद तो है…
शरतचंद्र रॉय ट्विटर पर नहीं हैं, इसलिए उन्होंने पुणे समाचार के माध्यम से अपनी बात पीएम मोदी तक पहुँचाने का प्रयास किया है। रॉय ने कहा, “मैं पिछले 4 सालों से अपने बेटे को इंसाफ दिलाने के लिए भटक रहा हूँ। 1 जून 2014 को मेरे बेटे अभिषेक की पुणे के वाघोली में चाकुओं से गोदकर हत्या कर दी गई थी, मगर पुलिस शुरुआत से इसे चोरी से जोड़कर देखती रही। मैंने तत्कालीन ग्रामीण पुलिस अधीक्षक मनोज लोहिया, तत्कालीन कमिश्नर सतीश माथुर, राज्य के पूर्व गृहमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखकर गुहार लगाई, पर किसी ने मेरी फरियाद नहीं सुनी। लेकिन अब मुझे उम्मीद है कि पीएम मेरे चैलेंज भी स्वीकार करेंगे। मैं उन्हें चुनौती देता हूँ कि मेरे बेटे को न्याय दिलाएं”।

आखिरी ख्वाहिश
रॉय ने आगे कहा, “एक पिता के लिए इससे बुरा क्या हो सकता है कि उसे अपने बेटे की अर्थी को कंधा देना पड़े। हमारा संसार उजड़ चुका है, मैं और मेरी पत्नी बस किसी तरह अपनी जिंदगी गुज़ार रहे हैं। दिन रात यह सवाल मन में उठता रहता है कि आखिर मेरे बेटे ने किसी का क्या बिगाड़ा था। प्रधानमंत्री सबका दर्द समझते हैं, मुझे उम्मीद है उन्हें एक बाप के आंसू भी नज़र आएंगे”। मैं पूरी तरह टूट चुका हूँ, दुनिया छोड़ने से पहले बस अपने बेटे के कातिलों को सलाखों के पीछे देखना चाहता हूँ”।

क्या है मामला
मैकेनिकल इंजीनियर अभिषेक नौकरी के सिलसिले में पुणे आया था, लेकिन इससे पहले कि वो अपने नए जीवन की शुरुआत कर पाता उसकी हत्या कर दी गई। हालांकि पुलिस ने इस संबंध में आईपीसी की धारा 460 के तहत केस दर्ज किया था। इस हत्याकांड में पुलिस की भूमिका शुरुआत से ही संदेह के घेरे में रही। पुलिस की जांच महज इस थ्योरी पर केंद्रित थी कि घर में चोरी के इरादे से घुसे अज्ञात बदमाशों को पकड़ने के दौरान अभिषेक की हत्या हुई। इसलिए उसने मृतक का मोबाइल फोन तक खंगालना जरूरी नहीं समझा। पीड़ित परिवार ने खुद मोबाइल पुलिस के हवाले किए ताकि कोई सुराग मिल सके।