विलीनीकरण पर विपक्ष के साथ सत्तादल भी नाराज; स्थानीय नेता पहुंचे मुख्यमंत्री के पास

पीएमआरडीए की बजाय पीसीएमसी में विलीन हो पीसीएनडीटीए, की उठी मांग

पिंपरी। पुणे समाचार ऑनलाइन

पिम्परी चिंचवड़ नवनगर विकास प्राधिकरण (पीसीएनडीटीए) को पुणे महानगर प्रादेशिक विकास प्राधिकरण (पीएमआरडीए) में विलीन करने की घोषणा पालकमंत्री गिरीश बापट ने की है। इसका विपक्षी दलों के साथ ही खुद सत्ताधारी भाजपा के खेमे से भी पुरजोर विरोध किया जा रहा है। भाजपाइयो को पीसीएनडीटीए का अध्यक्ष व लोकनियुक्त समिति में स्थान पाने का इंतजार है, मगर उनके ही नेताओं ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। विलीनीकरण का विरोध जताने कुछ स्थानीय नेता बुधवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस व दूसरे मंत्रियों से मिलने मुंबई पहुंचे हैं। वहीं सत्तादल व विपक्ष ने पीसीएनडीटीए को पीएमआरडीए की बजाय पीसीएमसी (पिंपरी चिंचवड़ मनपा) में विलीन करने की भी एकमुखी मांग की है।

बीते 10 से 12 सालों से पीसीएनडीटीए पर प्रशासन राज कायम है। सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा नेताओं को इसका अध्यक्ष या सदस्य पद मिलने का इंतजार है। पूर्व शहराध्यक्ष सदाशिव खाडे को अध्यक्ष देने की बात तय भी हुई है। खुद महिला व ग्राम विकास मंत्री पंकजा मुंडे उनके लिए प्रयासरत हैं। दो दिन पहले राजस्व मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने खाड़े के गांव के दौरे में उन्हें पीसीएनडीटीए का अध्यक्ष बनाया जाएगा, स्वागत- सम्मान समारोह की तैयारियों में जुटने की घोषणा की। मगर इसी दिन पिंपरी चिंचवड़ में पालकमंत्री गिरीश बापट ने पीसीएनडीटीए के पीएमआरडीए में विलीन करने की घोषणा कर खाड़े और पीसीएनडीटीए के लिए फील्डिंग लगाए बैठे दूसरे भाजपाइयों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया। कइयों ने पालकमंत्री और दूसरे नेताओं को फ़ोन पर और परोक्ष मिलकर कड़ी नाराजगी भी जताई है।

विपक्षी दलों ने पीसीएनडीटीए के पीएमआरडीए में विलय को लेकर कड़ी आपत्ति और जोरदार विरोध जताया है। खुद भाजपा के खेमे से भी इसका पुरजोर विरोध किया जा रहा है। कुछ स्थानीय नेता इस फैसले को रद्द कराने के लिए आज मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दूसरे आला नेताओं से मिलने मुंबई भी पहुंचे हैं, यह जानकारी भाजपा के खेमे से मिली है। राष्ट्रवादी कांग्रेस, शिवसेना, कांग्रेस तकरीबन सभी विपक्षी दलों ने भी इस विलीनीकरण का विरोध जताया है। विपक्ष का आरोप है कि, पीसीएनडीटीए से जुड़े शहरवासियों के लंबित मसलों को नजरअंदाज करते हुए केवल उसके पास रही 600 करोड़ को फिक्स डिपॉजिट और हजारों करोड़ की जमीन पर नजर रहने से विलीनीकरण का फैसला लादा जा रहा है। वहीं विपक्ष के साथ सत्तादल की एक मांग या राय पर आम सहमति नजर आई है। वह यह कि अगर विलीनीकरण करना ही है तो पीएमआरडीए की बजाय पीसीएमसी याने पिंपरी चिंचवड़ मनपा में करें। इससे पीसीएनडीटीए से जुड़े लंबित मसले हल होने में भी मदद मिलेगी। अब सरकार या मुख्यमंत्री विलीनीकरण के विरोध पर क्या भूमिका अपनाते हैं? इसकी ओर निगाहें टिकी हुई है।