वर्ल्ड हाइपरटेंशन-डे: दबे पांव आकर जकड़ लेती है ये बीमारी  

पुणे समाचार

कुछ बीमारियां ऐसी होती हैं, जो कब हमें जकड़ लेती हैं पता ही नहीं चलता। ऐसी ही बीमारियों में से एक है हाइपरटेंशन। आजकल की लाइफस्टाइल में तनाव हमारी जिंदगी का हिस्सा हो गया है और यही तनाव हमें हाइपरटेंशन की ओर धकेल रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, हाइपरटेंशन के अधिकतर मामलों के पीछे तनाव एक मुख्य वजह है। आज यानी 17 मई को वर्ल्ड हाइपरटेंशन-डे के रूप में मनाया जाता है। इस मौके पर हम आपको हाइपरटेंशन और उससे जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए। भारत की पूरी आबादी में केवल40 फीसदी लोगों को पता है कि उन्हें हाइपरटेंशन है। हाल ही में हेल्थ मिनिस्ट्री ने भी एक स्टडी में बताया है कि आठ में से एक व्यक्ति को बीपी है। इस शोध में पाया गया है कि भारत में 200 मिलियन वयस्क हैं जो हाइपरटेंशन के शिकार हैं,  जिसमें से 40 फीसदी को पता है और 20फीसदी लोग ही इसका इलाज कराते हैं। सबसे बड़ी बात है कि भारत में बीमारियों से जितनी मौत होती है उसमें से 10 फीसदी लोग हाइपरटेंशन से मरते हैं।

क्या होता है हाइपरटेंशन?
हाइपरटेंशन का मतलब होता है उच्च रक्तचाप वह स्थिति होती है, जब धमनियों में रक्त का दबाव बढ़ता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि तनाव, फास्ट फूड, कसरत की कमी, धूम्रपान का सेवन आदि। आमतौर पर सामान्य रक्तचाप का रेंज 120/80 MMHG होती है। हाइपरटेंशन बढ़ने से इसका नकारात्मक असर शरीर के मुख्य अंगों जैसे, ब्रेन, किडनी, हृदय,आंख आदि पर होता है।

ये हैं लक्षण
इसके मुख्य लक्षणों में सिर में दर्द, घबराहट, नाक से खून बहना, छाती में दर्द और ठीक से नींद न आना हैं। साथ ही यदि आप इससे पीड़ित हैं तो आपको गुस्सा आएगा, सांस लेने में तकलीफ होगी, आलस रहेगा,  थकान और तनाव महसूस होगा।

क्या मोबाइल-लैपटॉप हैं दोषी?
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कामकाजी 60 प्रतिशत लोगों को हाइपरटेंशन का खतरा बना रहता है। इसका प्रमुख कारण जीवनशैली में बदलाव तो है ही साथ ही मोबाइल और कंप्यूटर का अधिक इस्तेमाल भी इसमें योगदान देता है। खासकर बच्चों में हाइपरटेंशन की समस्या तेजी से बढ़ा रही है। दरअसल, मोबाइल के अधिक प्रयोग से शारीरिक गतिविधि कम हो जाती है, जिससे रक्तचाप का खतरा अधिक रहता है।

क्या कर सकते हैं आप
सब्जी और ताजा फल खाएं और वजन न बढ़ने दें
रोजना करीब एक घंटे तक व्यायाम करें
खान पान और लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं
खाने में 3 ग्राम नमक घटाएं
पोटाशियम की मात्रा ठीक रखें
40 की उम्र पार करने वालों को 6 महीने में एक बार बीपी जरूर चेक करवाना चाहिए
हाई बीपी की समस्या वालों को नियमित रूप से बीपी चेक कराना चाहिए

इन चीज़ों से बचें
धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें
ज्यादा फैट वाले डेयरी उत्पाद
भोजन में ज्यादा नमक
ज्यादा बाहर खाने की आदत बदलें