घोड़े पर चढ़कर गांव से बाहर निकलता था, इसलिए मार डाला

नई दिल्ली: समाचार एजेंसी

टिम्बी गांव में दबंग जाति को दलित का घोड़े पर बैठना बर्दाश्त नहीं हो रहा था, कई बार धमका चुके थे परिवार को कि घोड़ा नहीं बेचा तो बेटे की कर देंगे हत्या।
यह घटना है गुजरात के भावनगर जिले के उमरेला तहसील स्थित टिम्बी गांव की, जहां एक 21 वर्षीय दलित युवा प्रदीप राठौड़ की घोड़ा रखने के लिए हत्या कर दी गई, क्योंकि ऊंची जाति के लोगों को लग रहा था कि एक दलित के घोड़े की सवारी करने पर उनकी नाक नीचे हो रही है। प्रदीप को उस समय मारा गया जब वह घुड़सवारी कर रहा था। गौरतलब है कि 3000 की आबादी वाले इस गांव में मात्र 10 फीसदी दलित रहते हैं।

अगड़ों ने प्रदीप के परिजनों को धमकी दी थी कि वह उसे घुड़सवारी करने से रोक लें, नहीं तो कुछ भी अनहोनी हो सकती है। प्रदीप ने दो महीने पहले ही घोड़ा खरीदा था, जिसे बेचने के लिए गांव के सवर्ण उस पर लगातार दबाव बना रहे थे। जब प्रदीप ने सवर्ण जाति के दबंगों की बात नहीं मानी तो उसकी निर्ममता से हत्या कर उसकी लाश फेंक दी गई।
मृतक दलित युवक प्रदीप के पिता कालूभाई राठौड़ बताते हैं, दो महीने पहले जब प्रदीप ने घोड़ा खरीदा था तो गांव के सवर्णों ने धमकाया था कि वह अपना घोड़ा बेच दे नहीं तो वह उसकी जान ले लेंगे और कल 29 मार्च की देर रात उन्होंने प्रदीप की जान ले ली, क्योंकि उन्हें प्रदीप का घुड़सवारी करना अपनी बेइज्जती महसूस हो रही थी कि कैसे एक दलित घुड़सवारी कर सकता है। कालूभाई कहते हैं ग्रामीणों द्वारा लगातार दी जा रही धमकियों के बाद मैंने घोड़े को बेचने का इरादा भी कर लिया था, मगर जब तक मैं ऐसा कर पाता उससे पहले ही दबंगों ने मेरे बेटे की जान ले ली।

शुरुआती छानबीन में पुलिस ने भी कहा कि घोड़ा पालने और घुड़सवारी करने के कारण ही दलित युवा का कत्ल किया गया। दलित युवा की मौत के बाद इलाके में तनाव का माहौल व्याप्त है। पुलिस ने शुरुआती छानबीन के बाद ऊँची जाति के तीन लोगों को हिरासत में ले लिया है और उनसे पूछताछ जारी है। मामले की जांच के लिए पुलिस ने अपराध शाखा से भी सहयोग मांगा है।

मृतक प्रदीप के पिता कालूभाई कहते हैं मेरा बेटा घोड़े को लेकर खेत पर गया था और उसने कहा था कि वह रात का खाना वापस आकर सबके साथ आएगा। जब देर रात तक वह लौटकर वापस नहीं आया तो हमने उसे खोजना शुरू किया। काफी खोजने के बाद वह हमें अपने खेत के पास वाली सड़क पर मृत मिला, उसे बुरी तरह कुचलकर मारा गया था। प्रदीप से थोड़ी दूरी पर घोड़ा भी मृत हालत में मिला। अगड़ी जाति के लोगों ने घोड़े को भी नहीं बख्शा।
बारहवीं की परीक्षा पास करने के बाद से ही प्रदीप खेतों में काम करने में अपने पिता की मदद करता था। घर के कामों में मदद के लिए ही उसने घोड़ा खरीदा था। प्रदीप के शव को पोस्टमार्टम के लिए भावनगर सिविल अस्पलात भेज दिया गया, मगर प्रदीप के पिता ने कहा है कि जब तक उनके बेटे के अपराधियों की पहचान कर पुलिस उन्हें अपनी गिरफ्त में नहीं ले लेती तब तक वह प्रदीप का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे, न ही उसकी बॉडी को अपने घर पर लेकर जाएंगे।