वोट के साथ-साथ पैसों की कमी से भी जूझ रही कांग्रेस 

नई दिल्ली: केवल वोट ही नहीं वित्तीय मामले में भी कांग्रेस की स्थिति ख़राब चल रही है। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट बताती है कि कांग्रेस गंभीर संकट में है। फंड की इतनी दिक्कत हो गई है कि पिछले 5 महीने से कांग्रेस नेतृत्व ने कई राज्यों में पार्टी कार्यालयों को संचालित करने के लिए जरूरी पैसा भी रोक दिया है। इस संकट से उबरने के लिए पार्टी के सदस्यों से योगदान का आग्रह किया गया है। साथ ही पदाधिकारियों से खर्चों में कटौती करने को भी कहा गया है। आपको बता दें कि इससे पहले एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी कि राजनीतिक चंदा हासिल करने के मामले में भाजपा ने कांग्रेस को पीछे छोड़ते हुए रिकॉर्डतोड़ बढ़त हासिल की है। वित्तीय वर्ष 2016-17 में 81 प्रतिशत की बढ़त के साथ भाजपा ने सबसे ज्यादा 1,034 करोड़ रुपए कमाए। लिहाजा माना जा रहा है कि वित्तीय संकट के चलते कांग्रेस को अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इससे उसका प्रचार अभियान भी काफी कद तक प्रभावित होगा।

14 फीसदी की कमी
आमतौर पर केंद्र की सत्ता पर काबिज दल को सबसे अधिक चंदा मिलता है,लेकिन भाजपा ने यूपीए की दौर की कांग्रेस को इस मामले में पीछे छोड़ दिया है। भाजपा को 1034 करोड़ रुपए में से 997 करोड़ स्वैच्छिक दान के रूप में मिले, जो उसकी कुल आय का करीब 96 फीसदी है। जबकि कांग्रेस की कमाई में 2015-16 की तुलना में 14 फीसदी की कमी आई है और उसे 225.36 करोड़ रुपए की आय हुई है।