सर्च ऑपरेशन के नाम पर भेदभाव कर रही है सरकार

पुणे: पुणेसमाचार आॅनलाईन

नक्सलवादियों से संबंधों के शक में मंगलवार को पुलिस ने कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं के घर छापेमारी की। पुलिस की इस कार्रवाई का अब विरोध शुरू हो गया है। फुले आंबेडकर विद्तसभा, महाराष्ट्र के अध्यक्ष प्राचार्य महादेव नारायण कांबले का कहना है कि पुलिस बेवजह कार्यकर्ताओं को परेशान कर रही है। उन्होंने कहा, ‘नक्सलियों से नाम जोड़कर उन्हें बदनाम करने की साजिश रची जा रही है। हम इसका कड़े शब्दों में विरोध करते हैं’। कांबले ने आगे कहा, “पुलिस 8 से 10 घंटे तक कबीर कला मंच के कार्यकर्ताओं के घर खंगालती रही, लेकिन कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला।किसी विचारधारा से जुड़े साहित्य या गीतों के संग्रह की इज़ाज़त लोकतंत्र हमें देता है और इसमें कुछ गलत नहीं है। इस संबंध में किसी को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है”।

 तब क्यों नहीं मारे छापे ?
कांबले ने सवाल उठाया कि जब डॉ. नरेंद्र दाभोलकर और कॉमरेड गोविंद पानसरे की हत्या में सनातन, हिंदूवादी संगठन का नाम सामने आया, तो कोई सर्च ऑपरेशन क्यों नहीं चलाया गया? उन्होंने कहा कि सरकार भेदभाव कर रही है, जनता भी इस बात को अब समझने लगी है। हम इस भेदभाव की तीखे शब्दों में निंदा करते हैं।

 …तो हम तैयार
कांबले ने कहा, “यदि सरकार कानून और संविधान के हिसाब से पूछताछ करती है, तो हम उसके लिए तैयार हैं। लेकिन मेरा यह कहना है कि सनातन और हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं के घरों पर भी छापे मारे जाने चाहिए। यदि सरकार ऐसा नहीं करती है, तो हम समझेंगे कि सरकार भेदभाव की नीति पर कायम है”।