हम दो हमारे दो का बंधन नहीं- सर्वोच्च न्यायालय

नई दिल्ली : पुणे समाचार

देश में ‘हम दो हमारे दो’ की नीति अनिवार्य कर दी जाए इस संबंध में दायर याचिका को सर्वोच्च न्यायालय ने पूरी तरह खारिज कर दिया है।

पृथ्वीराज चौहान की याचिका पर आज न्यायालय में सुनवाई हुई। न्यायालय ने कहा कि यह नीतिगत मामला है और न्यायालय उसमें किसी तरह का कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहता। याचिका 12 फरवरी को न्यायालय में दायर की की गई थी।

प्रार्थी की माँग थी कि न्यायालय ऐसा आदेश दे जिससे कि केंद्र सरकार दो ही बच्चे की नीति को अनिवार्य कर दें। याचिका में यह भी कहा गया था कि सरकार द्वारा परिवार नियोजन के प्रचार-प्रसार और दो बच्चों की नीति को अमल में लाने के हर तरह के प्रयास किए जाने चाहिए। देश की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए परिवार का विस्तार दो बच्चों तक ही होना चाहिए इस आवश्यकता पर भी याचिका में बल दिया गया था।

हालाँकि राष्ट्रीय स्तर पर छोटे परिवार के बारे में हुई जनजागृति का प्रभाव बहुत हद तक महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और राजस्थान में देखा जा सकता है। जनसंख्या के गुबार को फटने से बचाने के लिए चीन ने परिवार योजना के अंतर्गत एक ही बच्चे की नीति वर्ष 1979 से अमल में लाई जिसके चलते वर्ष 2017 तक चीन की जनसंख्या की जन्म दर में छह लाख 30 हज़ार तक की कमी आ गई थी। जनसंख्या संतुलन के लिहाज़ से चीन ने वर्ष 2016 में एक बच्चे की नीति को स्थगित कर दिया था।