अतिरिक्त पुलिस आयुक्त और उपायुक्त भी ‘खटारा’ वाहनों से त्रस्त 

पिंपरी। संवाददाता
15 थानोंवाले पिंपरी चिंचवड़ पुलिस आयुक्तालय के लिए मात्र 44 वाहन!

मनुष्यबल के साथ वाहनों की भारी कमी से भी पिम्परी चिंचवड़ का नया पुलिस आयुक्तालय जूझ रहा है। जहां शहर के पड़ोसी पुुणे पुलिस आयुक्तालय के काफिले में 866 वाहनों की कतार है। वहीं 15 पुलिस थानों के समावेशवाले नए पिंपरी चिंचवड आयुक्तालय को मात्र 44 वाहनों की आपूर्ति की गई है। उसमें भी कई वाहन ‘खटारा’ बन चुके हैं। खुद अतिरिक्त पुलिस आयुक्त और जोन 1 की उपायुक्त इन खटारा वाहनों सेे त्रस्त हैैं। कुल मिलाकर मनुष्यबल के साथ साथ वाहन और अन्य संसाधनों के मामले में भी नए पुलिस आयुक्तालय के साथ भेदभाव किया गया है।
[amazon_link asins=’B078124279′ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’7c1a4a68-cb06-11e8-beeb-5bc3234f2fb0′]
पुणे शहर और जिला (ग्रामीण) पुलिस के थानों के विभाजन कर नए से पिंपरी चिंचवड पुलिस आयुक्तालय की स्थापना की गई है। 15 अगस्त से चिंचवड के ऑटो क्लस्टर की इमारत से आयुक्तालय का कामकाज शुरू किया गया है। आयुक्तालय के लिए अलग इमारत, पर्याप्त मनुष्यबल, वाहन और दूसरे संसाधनों की आपूर्ति किये बिना आयुक्तालय का कामकाज शुरू तो कर दिया गया है। मगर इन कमियों के साथ पिंपरी चिंचवड शहर में अमन और कानून व्यवस्था बनाये रखना पुलिस आयुक्त आरके पद्मनाभन के लिए कड़ी चुनौती साबित हो रहा है।
[amazon_link asins=’B073Q5R6VR,B01FUK9TKG’ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’90ce4698-cb06-11e8-aec7-31803c30ac13′]
पुणे शहर और जिला पुलिस बल से मनुष्यबल मुहैया कराने के दौरान पुलिस थानों की स्थापना के दौरान मंजूर मनुष्यबल को आधार मानकर अतिरिक्त पुलिस कर्मी हटा लिए गए। राज्य सरकार ने जो मनुष्यबल मंजूर किया है वह एक साथ उपलब्ध कराने की बजाय चरणबद्ध तरीके से उपलब्ध कराने का फैसला किया गया है। यानी नए पुलिस आयुक्तालय को मनुष्यबल की कमी लंबे समय तक खलनेवाली है। मनुष्यबल के साथ साथ वाहन और दूसरे संसाधनों की आपूर्ति में भी भेदभाव किया गया है। 15 थानों के पुलिस आयुक्तालय को मात्र 44 वाहन उपलब्ध कराए गए हैं जिनमें कई वाहन खटारा स्थिति में है। इन खटारा वाहनों के साथ मौका ए वारदात पर पहुंचने से लेकर पैट्रोलिंग तक में दिक्कतें आ रही है।[amazon_link asins=’B010M5MORO,B00NXFQ9XQ’ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’b0639ab6-cb06-11e8-9aa2-8bc30e806e1b’]
जहां इन खटारा वाहनों की त्रासगी पुलिस थानों के अधिकारी और कर्मचारी झेल रहे हैं वहीं आला अधिकारियों की हालत भी कुछ अलग नहीं है। खुद अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मकरंद रानडे और जोन 1 की पुलिस उपायुक्त नम्रता पाटिल बार- बार नादुरुस्त होने और बीच राह में बंद पड़नेवाले अपने वाहनों से परेशान हैं। उपायुक्त पाटिल तो हिंजवड़ी थाने की पैट्रोलिंग वाहन का इस्तेमाल करने के लिए विवश हैं। अतिरिक्त आयुक्त रानडे भी वैकल्पिक व्यवस्था से ही काम चला रहे हैं। यही नहीं दूसरे अधिकारी और कर्मचारी तो निजी वाहनों के सहारे ड्यूटी निभा रहे हैं। अचरज की बात है कि नए पुलिस आयुक्तालय की त्रासगी को लेकर न तो पुलिस महानिदेशक कार्यालय गंभीर है न राज्य सरकार और न ही आयुक्तालय शुरू कराने का ढोल पीटनेवाले स्थानीय जनप्रतिनिधि।

ब्रेक फेल होने से बेकाबू टेम्पो ने 8 गाड़ियों को मारी टक्कर