शराबबंदी संवैधानिक अधिकारों का हनन, हाईकोर्ट में याचिका दाखिल  

अहमदाबाद | समाचार ऑनलाइन – गुजरात में शराबबंदी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। याचिका में शराब बंदी को निजता का उल्लंघन और समानता के खिलाफ बताया है। वहीं हाईकोर्ट का कहना है कि इस याचिका पर वह पहले राज्य सरकार की शराब बैन पॉलिसी पर उसका पक्ष सुनेगी। याचिकाकर्ता राजीव पटेल ने विरोध करते हुए कहा, यह ना केवल प्राइवेसी का उल्लंघन करता है, बल्कि जीने के अधिकार के संवैधानिक अधिकारों का भी हनन है।

भाजपा से अलग चुनाव लड़ना शिवसेना के लिए नुकसान : रामदास अठावले

उन्होंने कहा कि निजी तौर पर शराब पीना खुद से जुड़ा काम है जो ना तो किसी और को चोट पहुंचने में समक्ष है और ना ही यह ही यह समाज की सुरक्षा के लिए खतरनाक है। याचिकाकर्ता के वकील ने प्रोहिबिशन एक्ट के सेक्शन 12, 13, 14-1बी, 65 और 66 को हटाने की मांग की। उनका कहना है ये धाराएं मनमानी, तर्करहित, असंगत, अनुचित और भेदभावपूर्ण है। ये समानता के अधिकार का उल्लंघन करती हैं।

वकील ने तर्क दिया कि राज्य सरकार का काम किसी व्यक्ति के निजी मामलों में घुसपैठ करना नहीं है। जब तक उसकी वजह से सामाजिक सुरक्षा को खतरा न हो। वकील ने यह भी कहा कि इस तरह का कानून इंसान को सम्मानित गरिमामय और क्वॉलिटी लाइफ जीने से रोकता है। चीफ जस्टिस आरएस रेड्डी और जस्टिस वीएम पांचोली की पीठ ने कहा वह पहले सरकार का पक्ष सुनेगी इसके बाद आगे की सुनवाई की जाएगी।