आनंद तेलतुंबडे की गिरफ्तारी की संभावना

पुणे : समाचार ऑनलाइन – भीमा कोरेगांव हिंसा और माओवादियों से संबंध रखने के आरोप में पुणे के शिवाजीनगर सत्र जिला कोर्ट ने प्रा. आनंद तेलतुंबडे की अंतरिम जमानत को शुक्रवार को खारिज कर दिया है। इसलिए उनकी गिरफ्तारी की संभावना बढ़ गई है।
1 जनवरी 2018 को पुणे के कोरेगांव भीमा में हुई हिंसा की पृष्ठभूमि के चलते प्राध्यापक आनंद तेलतुंबडे के खिलाफ पुणे पुलिस द्वारा दाखिल किए गए अपराध को रद्द करने के लिए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इस दौरान तेलतुंबडे को गिरफ्तार नहीं करने के लिए 4 हफ्तों की अवधि बढ़ा दी गई थी। जमानत के लिए आवेदन कर सकें, इसलिए संरक्षण दिया गया था। पुलिस जांच में और जानकारी उजागर हो रही है, इस अपराध की व्याप्ति काफी बड़ी है। जिस पर पुणे कोर्ट में सुनवायी गई। इस दौरान भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने कोरेगांव भीमा दंगे का इस्तेमाल देश में अराजकता फैलाने की प्लानिंग की गई थी। उनकी गतिविधियों के 50 वें स्थापना दिवस पर माओवादियों को कुछ सूचना दी गई थी, सभी संदिग्ध एक दूसरे के संपर्क में थे। साथ ही देश विरोधी कार्रवाई में वह शामिल थे, उनके ईमेल के जरिए यह बात सामने आयी है।
पत्र में मनोज नामक शख्स का उल्लेख किया गया है, वह कौन है। उनके जरिए कितने कुरिअर भेजे गए हैं। उन्हें पैसे कहां से मिले। इन बातों की जांच के लिए आनंद तेलतुंबडे से पूछताछ करनी है। अंतरिम जमानत खारिज करने का अपना पक्ष जिला सरकारी वकील उज्जवला पवार ने कोर्ट में प्रस्तुत किया। लेकिन शोमा सेन के लैपटॉप में जो मेल प्राप्त हुए हैं, उसमें तेलतुंबडे को पैरिस जाकर कोरेगांव भीमा संबंधी विषय को ज्वलंत रखने की सूचना दी गई है। यह मेल फर्जी होने का दावा बचाव पक्ष के वकील ने किया था। आनंद तेलतुंबडे यह अमेरिकन विद्यापीठ के निमंत्रण पर 2017 में पैरिस गए थे। जिसका खर्च विद्यापीठ ने किया था। इस दौरे का माओवादी से किसी भी तरह का संबंध नहीं है, किसी भी पत्र में सीधे तौर पर आनंद तेलतुंबडे का उल्लेख नहीं है। कॉम्रेड प्रकाश ऐसा उल्लेख है, तो पुलिस कल प्रकाश आंबेडकर के होने का दावा करेगी क्या? ऐसा युक्तिवाद बचाव पक्ष के वकील द्वारा किया गया।
दोनों पक्ष की बात सुनकर शुक्रवार को कोर्ट ने अंतरिम जमानत के आवेदन को खारिज कर दिया।