क्या काम आएगा पीएम का ‘महादायी’ दांव?

बेंगलुरु

यदि हालिया सर्वेक्षण की मानें तो कर्नाटक में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा। हालांकि सत्ता की चाबी जेडीएस के पास रह सकती है। ऐसी स्थिति में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही जेडीएस को अपने पाले में लाने का प्रयास करेंगे। वैसे इससे पहले भी राजनीतिक  पंडित यह कहते आये हैं कि कर्नाटक में त्रिशंकु विधानसभा ही रहने वाली है। संभवता इसी को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बना रही है। प्रधानमंत्री द्वारा महादायी जल विवाद को हल करने के लिए बातचीत की घोषणा को इससे अलग करके नहीं देखा जा सकता। जानकर मानते हैं कि यह घोषणा भाजपा को बड़ा फायदा दिला सकती है, क्योंकि इससे कर्नाटक के उत्तरी-पश्चिमी इलाके की कुछ अहम सीटें प्रभावित होती हैं।

क्या कहा था पीएम ने
224 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा की लगभग 50 सीटें इसी इलाके में आती हैं। महादायी को लेकर पिछले दो साल से राज्य के कई हिस्सों में आंदोलन चल रहा है।
मोदी ने शनिवार को गडग में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा था कि सोनिया गांधी ने आपको पानी देने से मना किया है। उनकी पार्टी की सरकार केंद्र के अलावा तीनों विवादित राज्यों में थी। अगर आप हमारी पार्टी की सरकार यहां चुनते हैं तो मैं इस विवाद को हल करने के लिए तीनों राज्यों से बातचीत करूंगा।

काफी अहम हैं ये सीटें
कर्नाटक की राजनीति पर करीब से नजर रखने वाले मानते हैं कि मोदी के इस बयान के बाद कांग्रेस का गढ़ समझे जाने वाले गडग में भाजपा की जीत की संभावना बढ़ गई है। महादायी जल विवाद का मुद्दा इस इलाके की 7 सीटों के लिए अहम है। अभी कांग्रेस के पास इलाके की 31 सीटें हैं जबकि भाजपा के पास 16 हैं। इसी तरह जेडीएस के पास एक सीट और 2 सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों के पास हैं। चुनाव से पहले से आए कई सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस और भाजपा राज्य में करीब 90-90 सीटों पर जीत दर्ज करेंगी। ऐसे में इन 7 सीटों पर जीत-हार का अंतर राज्य में सरकार बनाने के हिसाब से काफी अहम हो जाता है।