CBI corruption case : सीबीआई की जांच से सरकार हुई नाराज 

नई दिल्ली | समाचार ऑनलाइन – सीबीआई का मामला अब आपसी खींचातानी में फंसता जा रहा है, उससे न सिर्फ जांच एजेंसी की विश्वसनीयता पर सवाल उठे रहे हैं, बल्कि सरकार के लिए भी अब स्थिति को संभालना बहुत मुशकिल होता जा है। सोमवार को खुद पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार से जुड़े अफसर पूरे दिन मामले में बीच-बचाव करते रहे, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। डायरेक्टर आलोक वर्मा की पीएम से मुलाकात के एक घंटे बाद इस केस से जुड़े डीएसपी रैंक के अधिकारी देवेंद्र कुमार गिरफ्तार कर लिया गया और उसके कुछ देर बाद तमाम अधिकारियों के ठिकानों पर सीबीआई ने छापे मारे।

आज इस मामले के कानूनी चौखट तक पहुंचने के पूरे आसार हैं। सूत्रों के अनुसार, छापे में बहुत सारे कागजात और केस डायरी जब्त किए गए हैं। हालांकि सीबीआई ने इस केस में पूरी तरह चुप्पी साध ली है और मीडिया से कोई भी जानकारी साझा करने से इनकारकर दिया गया है।

भारत ने दिया पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को करारा जवाब

सरकार नाराज है

देवेंद्र की गिरफ्तारी के बाद सीबीआई ने इस केस से जुड़ा पहला बयान भी जारी किया, जिसमें विस्तार से बताया गया कि उन्होंने किस तरह राकेश अस्थाना के कहने पर फर्जी सबूत तैयार किए थे। इसमें कहा गया कि देवेंद्र कुमार ने राकेश अस्थाना के कहने पर ऐसे लोगों के बयान दिल्ली में लेने का दावा किया, जो उस दिन यहां थे ही नहीं। सीबीआई ने राकेश अस्थाना और उनसे जुड़े अधिकारियों के फोन पर इस केस के संबंध में बात करने के सबूत होने का भी दावा किया है। दूसरी ओर, सीबीआई डायरेक्टर जिस तरह मामले को डील कर रहे हैं, उससे सरकार नाराज है। हालांकि सरकार खुद को राकेश अस्थाना के साथ भी नहीं दिखाना चाहती है।

दो करोड़ रुपये घूस देने का आरोप

राकेश अस्थाना पूरे मामले में खुद को पूरी तरह सही बताते हुए दावा कर रहे हैं कि कोर्ट जाने पर उन्हें तुरंत राहत मिल जाएगी। उनपर दर्ज केस में कहीं भी उनके सीधे घूस लेने की बात नहीं की गई ह। पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात है कि जिसकी शिकायत पर राकेश अस्थाना फंसे हैं, उसी व्यक्ति पर उन्होंने सीबीआई डायरेक्टर को दो करोड़ रुपये घूस देने का आरोप लगाया था। इसकी शिकायत कैबिनेट सेक्रेटरी से की गई थी। राकेश अस्थाना का तर्क है कि उन्होंने केस दर्ज होने से पहले ही शिकायत की थी। वहीं, सीबीआई डायरेक्टर का कहना है कि जब राकेश अस्थाना को अंदाजा लग गया कि वह जांच एजेंसी के जाल में फंसने वाले हैं तो उन्होंने उनका नाम लेना ही मुनासिब समझा।