औरंगाबाद। समाचार एजेंसी
लोकसभा के साथ 11 राज्यों के विधानसभा चुनाव कराने संबंधी सभी अटकलों पर पूर्णविराम लगाते हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ओपी रावत ने कानूनी ढांचा स्थापित किए बिना लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की संभावना से साफ इंकार किया है। क्या लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराना व्यावहारिक है? इस सवाल के जवाब में गुरुवार को औरंगाबाद में एक संक्षिप्त पत्रकार वार्ता में रावत ने कहा, इसकी कोई संभावना नहीं है। उनकेे जवाब से भाजपा की वन नेशन-वन इलेक्शन यानी एक देश-एक चुनाव की कोशिशों को झटका लगा है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव पर विचार करने की बात कर चुके हैं। उन्होंने कई मौकों पर कहा है कि विपक्षी दल इसपर विचार करें। एक साथ चुनाव कराए जाने से खर्च, समय और मनुष्य बल में कमी आएगी। हांलाकि कई विपक्षी दल एक साथ चुनाव के पक्ष में नहीं है। उनका मानना है कि एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव के फैसले से राज्यों को नुकसान होगा और साथ ही एक तरह की सरकार को बल मिलेगा।
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव अगले साल अप्रैल-मई में प्रस्तावित हैं। इसी साल मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में विधानसभा चुनाव होने हैं। पिछले दिनों भाजपा की तरफ से गाहे-बेगाहे एक देश एक चुनाव का जिक्र छेड़ा गया। इसके बाद अटकलें लगाई जा रही थीं कि, लोकसभा चुनावों को पहले खिसका कर इन राज्यों के चुनाव भी साथ कराए जाएंगे। हालांकि भाजपा ने कहा है कि एक देश एक चुनाव का उसका प्रस्ताव लंबी अवधि का लक्ष्य है और पार्टी इसे तुरंत लागू करने के लिए दबाव नहीं डाल रही।