देहूरोड: यहां अपराधी बेख़ौफ़ हैं और पुलिस बेबस

पिंपरी चिंचवड : पुणे समाचार

कृष्णा पांचाल

पिंपरी-चिंचवड के देहूरोड इलाके में दिन पर दिन अपराधियों की दहशत बढ़ती जा रही है, अपना वर्चस्व स्थापित करने के लिए गैंग रोजाना आतंक मचा रही है। जिसकी वजह से नागरिकों में भय का माहौल बढ़ता ही जा रहा है। दहशत फैलाने के उद्देश्य से गाड़ियों की तोड़फोड़, महिलाओं के साथ मारपीट, नाबालिग लड़कों का गैंग में सहभाग बढ़ता जा रहा है, बदमाशों के जन्मदिन को मनाने के लिए गाड़ियों की तोड़फोड़ और दिनदहाड़े तलवारे लेकर घूमने जैसा माहौल देहूरोड में आम बात हो गई है, इससे साफ जाहिर होता है कि देहूरोड अपराध जगत में आगे बढ़ता जा रहा है।

पुलिस निरीक्षक अरूण मोरे के कार्यकाल में सबसे ज्यादा तोड़फोड़ की घटना हुई है। अपराधियों पर लगाम कसने में पुलिस नाकाम साबित हो रही है। देहूरोड में पुलिस निरीक्षक के पद पर प्रकाश धस के आने के बाद नागरिकों के मन में थोड़ी आशा जागी थी क्योंकि आते ही प्रकाश धस ने हुक्काबार पर कारवाई की थी। लेकिन तोड़फोड़ की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही है, ऐसा कहने में कोई हर्ज नहीं होगा। इस मामले में पुलिस ने मीडिया से बात करने में कन्नी काटी, हमलावरों ने यहां तक पुलिसवालों को भी नहीं बख्शा, पुलिसवालों पर भी हमले करने के घटना बढ़े हैं। इसके बावजूद पुलिस चुप्पी साधी हुई है।

अपराधियों को पनाह देने के पीछे आर्थिक मदद की चर्चा जोरों पर चल रही है। एक महिला की बेटी का अपहरण किया गया, लड़की को ढूंढ पाने में देहूरोड पुलिस नाकाम रही है। अपहरण करनेवाले लड़के के पिता ने एक पुलिस उपनिरीक्षक को बड़ी रकम देने का आरोप लड़की की मां ने लगाया है। जिसकी वजह से साफ जाहिर होता है कि पुलिस अपराधियों को पकड़ने से ज्यादा अपनी जेबें भरने में दिलचस्पी रखते हैं। इन सभी आरोपों को नए पुलिस निरीक्षक प्रकाश धस कैसे मुंह तोड़ जवाब देते हैं, यह देखना बाकी है।

देहूरोड में वोफल और तमिल टायगर्स ऐसी दो तमिल समाज की गैंग है, इन दोनों गैंग के बीच हमेशा वर्चस्व की लड़ाई होती रहती है। तलवार, कोयता और चाकू लेकर दिनदहाड़े यह गैंग इलाके में घूमते हैं और नाबालिग लड़कों को ताकत के बल पर जबरदस्ती गैंग में शामिल होने के लिए धमकाते रहते हैं। देहूरोड यह गुंड़ों का अड्डा बन गया है। कुछ महीनों पहले अल्बर्ट जोसेफ और अविनाश नाम नाबालिग लड़कों को गैंग में शामिल होने के लिए वोफल गैंग ने धमकी दी थी। जब नाबालिग लड़कों ने गैंग में शामिल होने से इंकार कर दिया तो उनकी बेरहमी से पिटाई की गई।

यह आतंक यहां भी थमा नहीं, वोफल गैंग ने इलाके के कुछ घरों में घुसकर नागरिकों के साथ मारपीट की और नागरिकों के कीमती गहने और कैश लूट लिए गए। नागरिकों द्वारा बार बार शिकायत करने के बावजूद पुलिस द्वारा कोई ठोस कारवाई करने के आसार नजर नहीं आते। गुंड़ों को हिरासत में लेने के बाद राजनीतिक दवाब के चलते छोड़ दिया जाता है। पिछले हफ्ते नाबालिग अपराधी का जन्मदिन मनाने के दौरान गाड़ियों की तोड़फोड़ की गई थी, यह घटना सीसीटीवी में कैद हो गई थी। लगातार दो से तीन दिनों तक गाड़ियों की तोड़फोड़ करने की घटना जारी थी।

 

तारीख – 3 जुलाई 2017

गैंग ने दहशत फैलाने के लिए 10 गाड़ियों की तोड़फोड़ की थी।

तारीख – 3 मई 2018

6 गाड़ियों की तोड़फोड़ और दो महिलाओं के साथ मारपीट,

हॉकी, स्टीक, डंडा, कोयता जैसे हथियारों का इस्तेमाल

तारीख – 13 मई 2018

आंबेडकर रोड पर पार्क किए दो फोर व्हीलर गाड़ियों की तोड़फोड़

तारीख 25 मई 2018

अपराधी का जन्मदिन सेलिब्रेट करने के लिए तेजधार हथियार से गाड़ियों की तोड़फोड़

तारीख 26 मई 2018

एटीएम और टूव्हीलर गाड़ियों की तोड़फोड़

पिछले कुछ महीने से देहूरोड गांव में गैंग का आतंक अपने पैर फैलता जा रहा है, लेकिन इन घटनाओं को रोकने के लिए पुलिस द्वारा कोई भी ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। जिसकी वजह से नागरिकों को आतंक के साये में जीने को मजबूर हैं। देहूरोड में वादविवाद, तोड़फोड़ की घटनाएं आम होती जा रही है, यहां बाहरी राज्यों के नागरिकों की संख्या बढ़ी है, जिसकी वजह से अपराधिक जगत अपना पैर पसार रहा है। देहूरोड पुलिस इस पर कुछ ठोस कारवाई करेगी या नहीं, यह सोचनेवाली बात है।