ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं नहीं देने वाले डॉक्टरों को मिलेगी कड़वी डोज़

मुंबई | समाचार ऑनलाइन – डॉक्टर हमेशा ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देने से कतराते रहते हैं, क्योंकि वहां उन्हें सुख-सुविधाओं के नाम पर कुछ ख़ास नहीं मिलता. लेकिन डायरेक्टरेट ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (डीएमईआर) अब ऐसे डॉक्टरों पर कार्रवाई करने जा रहा है, जो रियायती फीस से पढ़ाई करने के बाद भी बांड भरने को तैयार नहीं हैं. नियमों के अनुसार, सरकारी कॉलेजों से कम फीस में एमबीबीएस और पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री लेने वालों को एक बांड भरना होता है, जिसके तहत उन्हें एक वर्ष के लिए ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में सेवाएं देनी होती हैं.

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हालांकि, डॉक्टर ऐसा नहीं करते. 2016 में डीएमईआर ने ग्रामीण क्षेत्रों में सेवा से इंकार करने वाले चार हजार से ज्यादा डॉक्टरों को नोटिस भेजा था, मगर इस बार वह ज्यादा सख्त रुख अख्तियार करने के मूड में है.

राज्य में ऐसे डॉक्टरों की संख्या 3 हजार से अधिक है, जिन्होंने सरकारी कॉलेजों से डिग्री हासिल कर ली है, मगर अब तक बांड नहीं भरा है और डीएमईआर के नोटिस का भी जवाब नहीं दिया है.