नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान एक ऐसी अनोखी शर्त रखी, जिसे यदि प्रत्येक सुनवाई में शामिल किया जाए तो सालों-साल चलने वाले मुक़दमे चंद महीने में ही ख़त्म हो जाएँ। दरअसल, 89 वर्षीय महिला से जुड़े केस में सुनवाई को तेज करने के लिए कोर्ट ने कहा कि जब भी सुनवाई स्थगित होगी तो दूसरे पक्ष को प्रत्येक स्थगन के 10 हजार रुपये देने होंगे। जस्टिस मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस बात पर रोष भी प्रकट किया कि केस में आजादी के समय के दस्तावेज होने के बावजूद ट्रायल कोर्ट ने सुनवाई टालने में उदारता बरती। सुनवाई के दौरान मामले के कागजातों से बेंच को पता चला कि प्रतिवादी तनवीर सिंह और अन्य ने काफी बार केस की सुनवाई मुल्तवी कराई। इस पर कोर्ट ने नाराज़गी जताए हुए कहा कि याचिकाकर्ता सुरिंदर कौर की उम्र 89 साल है। हाईकोर्ट के आदेश में दर्ज है कि वह स्पाइन ट्यूबरक्युलोसिस से जूझ रही हैं। इन परिस्थितियों में वह हैरान है कि ट्रायल कोर्ट ने खुले दिल से सुनवाई स्थगित की।
फायदा पहुँचने नहीं देंगे
मालूम हो कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने साल 2015 में कोर्ट कार्यवाही में तेजी लाने का आदेश दिया था, लेकिन ट्रायल कोर्ट के रवैये में बदलाव नहीं आया। बेंच ने कहा कि लंबे ट्रायल में अगर सुरिंदर कौर जीवन की जंग हार जाती हैं, तो इसका फायदा दूसरे पक्ष को उठाने नहीं दिया जा सकता और वह डिफॉल्ट तरीके से केस नहीं जीत सकते। ऐसे में बेंच ने ट्रायल कोर्ट को सुनवाई तेज करने और जल्द से जल्द फैसला करने का निर्देश दिया, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने शर्त भी रख दी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “हम यह साफ कर देते हैं कि ट्रायल कोर्ट शीघ्रता से मामले की सुनवाई करे। यदि वादी की ओर से सुनवाई टालने की अर्जी दी जाती है तो अगली तारीख एक सप्ताह से ज्यादा आगे की नहीं होनी चाहिए और उसे 10 हजार रुपये जमा कराने होंगे।”
क्या है मामला
यह मामला बंटवारे के बाद 1947 में पंजाब में आवंटित की गई जमीनों से जुड़ा हुआ है। दोनों पक्षों के पूर्वजों की पश्चिमी पाकिस्तान में संपत्ति थी और उन्हें इसके बदले में पंजाब में अलग-अलग जगहों पर जमीन दी गई थी। केस इस बात पर लड़ा जा रहा है कि इन जमीनों का असली मालिक कौन है।