पिता का फर्ज निभाने के लिए विधानसभा से ली छुट्टी

जब बेटी के पिता के तौर पर कॉलेज कार्यक्रम में शामिल हुए शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े

पुणे। समाचार ऑनलाइन

बच्चे कभी अपने पिता के ओहदे से प्रभावित नहीं होते हैं न ही उन्हें कोई लेना देना होता है उनके रुतबे से। वो तो बस अपने पिता से मिले अपनेपन से ही खुश हो जाते हैं। उनके छोटे से खुशनुमा पल में उनके पिता की मौजूदगी उन्हें उत्साह से भर देती है। राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावडे भी रविवार 15 जुलाई को अपने पिता होने के इसी कर्तव्य का निर्वाह करते नजर आए। जब वह काम के आपाधापी के बीच भी समय निकालकर अपनी बेटी के अकादमिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पुणे स्थित एक कॉलेज में पहुंचे। उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में मंच पर बैठने के बजाए पूरा कार्यक्रम कॉलेज के ऑडिटोरियम की दर्शक दीर्घा में बैठकर देखा।
तावड़े और उनकी पत्नी, वर्षा अपनी बेटी अन्वी के कॉलेज सिम्बायोसिस स्कूल फॉर लिबरल आर्ट्स (एसएसएलए) के ओरिएंटेशन कार्यक्रम में एक माता-पिता के तौर पर मौजूद रहे। अन्वी ने हाल ही में इस कॉलेज में एडमिशन लिया है। शिक्षा मंत्री ने इस दिन पूरी तरह एक बेटी के पिता की भूमिका निभाई। उन्होंने 13 जुलाई को बेटी को कॉलेज के छात्रावास में छोड़ा और 15 जुलाई को ओरिएंटेशन कार्यक्रम में भी शामिल हुए।

अतिथि के रूप में स्टेज से किया किनारा

इस समारोह के दौरान कॉलेज प्रबंधन द्वारा तावड़े को सम्मानित अतिथि के रूप में मंच पर भी आमंत्रित किया गया। लेकिन, उन्होंने इसके लिए मना कर दिया और अन्य माता-पिता के साथ दर्शकों में बैठना पसंद किया। इस दौरान उन्होंने आधिकारिक मंत्री की कार में यात्रा करने के बजाय अपने वाहन का उपयोग किया।

बेटी की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहता था

उन्होंने कहा, मुंबई में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, पहली बार मेरी बेटी शिक्षा के लिए एक अलग शहर में रहेगी। हर पिता की तरह, मैं बस यह सुनिश्चित करना चाहता था कि वह जहां भी रहे, सुरक्षित रहे। इसलिए मेरी पत्नी और मैं उसके साथ आए। मैं पेशे से मंत्री हूं, लेकिन मेरी बेटी ने मुझे चेतावनी दी थी कि मैं इस दौरान अपने ओहदे को अलग रखूं और ओरिएंटेशन कार्यक्रम में उसके पिता की तरह पेश आऊं।

मॉनसून सत्र से भी ली छुट्टी

बेटी के कॉलेज आने के लिए एक पिता और शिक्षा मंत्री तावड़े ने नागपुर में चल रहे मॉनसून विधानसभा सत्र से आधिकारिक तौर पर अनुपस्थित रहने की अनुमति मांगी। उन्होंने अध्यक्ष को दिए पत्र में लिखा कि वह शुक्रवार को अपने बच्चे के एडमिशन की जिम्मेदारियों की वजह से अनुपस्थित रहेंगे।
गौरतलब हो कि अक्टूबर 2014 में मंत्री के रूप में पदभार संभालने के बाद से यह पहली बार हुआ है कि तावड़े किसी भी विधानसभा सत्र में अनुपस्थित रहे हों।

मंत्री रहूं न रहूं, पिता जरूर रहूंगा

शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘मैं आज मंत्री हूं, पर भविष्य में शायद न रहूं। लेकिन हमेशा एक पिता रहूंगा और यह मेरे बच्चे के जीवन में एक महत्वपूर्ण चरण है। इन पूरे सालों में हम एक साथ रहते आए हैं और पूरे दिन में घर पर एक बार जरूर मिलते हैं। अब, वह (बेटी) घर से दूर एक यात्रा शुरू कर रही है, और मैं उसके साथ कुछ समय बिताना चाहता था।

बेटी अपने निर्णय खुद ले

तावड़े ने आगे कहा, लिबरल आर्ट्स में एडमिशन उनकी बेटी का निर्णय था और इसमें चुने जाने के बाद ही उसने मुझे इसकी सूचना दी थी। मुझे खुशी है कि अपने प्रयासों के कारण यह वह इस पाठ्यक्रम के लिए चुनी गई। उन्होंने कहा,” मैंने मलाला यूसुफजई के पिता की बात सुनी थी कि वह अपनी बेटी के पंखों को कभी नहीं काटेंगे, और उसे उड़ने देंगे। मैं इस फिलॉसफी में विश्वास करता हूं कि मेरी बेटी मेरे हस्तक्षेप के बिना अपने निर्णय लेगी, और मैं उसे पूरी तरह से समर्थन दूंगा।