पुणे के गुरूजी तालीम गणपति हैं एकता का प्रतिक

पुणे। समाचार ऑनलाइन

प्रीति फुलबांधे

पुणे के सुप्रिद्ध गणपति ( मानाचा तीसरा गणपति ) गुरूजी तालीम गणपति का इस साल 132 वर्ष पुरे हो चुके हैं। 1887 साल पहले भिकू शिंदे नानासाहेब खासगीवीले , शेख कासम वल्लाद ने गुरूजी तालीम गणपति की शुरूवात की थी। सार्वजनिक गणेशोत्सव शुरू होने के पांच साल पहले गणेश उत्सव की शुरुवात हुई थी। इस गणपति को हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतिक माना जाता हैं। पुणे स्थित एक अखाड़े (तालीम) में गणेश जी की मूर्ति स्थापना की गयी थी।
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मूषकारूढ स्वरूप की शाडू के मिटी की मूर्ती 1972 साल में बनाई गयी थी। मंडळा के कार्यकर्ते और तत्कालीन नगरसेवक श्यामसिंग परदेशी इनके सहायता से यह मूर्ती में दुरुस्त की गयी थी। हर साल रंग देकर यह मूर्ती उत्सव में रखी जाती हैं। कुछ साल पहले फायबर की मूर्ती तयार की गयी हैं थी। इस मूर्ति को दस किलो सोना और बीस किलो चांदी के गहने कार्यकर्ताओं के सहभाग से बनाये गए हैं। गुरूजी तालीम मंडल के शताब्दी वर्ष पर गुरुजी तालीम गणपती मंडळ ने चंदा लेना बंद कर दिया हैं पिछले 32 सालों से मंडळ चंदा नही ले रहा है । गुरूजी तालीम मंडल ये पहला गणेश मंडल हैं जो चंदा नही लेता। कार्यकर्ता कम से कम १०१ रुए चंदा देते हैं। मंडळ के सभासद और कार्यकर्ता हर साल गणेशोत्सव को लगनेवाला खर्च उठाते हैं। आगमन और विसर्जन जुलुस में फूलों से सजा रथ यह इस मंडळ का ख़ासियत हैं।
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