हम प्रेम को जाहिर करते हैं तो शिवसेना हमसे छुपकर प्रेम करती है : देवेंद्र फडणवीस

हमें गठबंधन करना ही है
 मुंबई :  समाचार ऑनलाइन – सत्ता में रहते हुए शिवसेना जिस प्रकार से भाजपा पर हमलावर है और हर मुद्दे पर भाजपा का विरोध कर रही है, ऐसे में लग रहा है कि शिवसेना आने वाले समय में ‘एकला चलो’ की रणनीति पर आगे बढ़ चुकी है। लेकिन शनिवार को मुख्यमंत्री ने नागपुर में जो बयान दिया उसे लेकर जमकर चर्चा हो रही है। उन्होंने कहा कि शिवसेना को भी हमसे प्रेम है और हमें गठबंधन करना ही है।उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब लोकसभा चुनाव में महज कुछ महीने ही बचे हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि अभी भी
शिवसेना और भाजपा के बीच गठबंधन को लेकर एक सॉफ्ट कॉर्नर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के दिल के किसी कोने में है।
नोटबंदी से लेकर जीएसटी, स्टैच्यू, सफाई अभियान, महंगाई, बेरोजगारी समेत तमाम मुद्दों को लेकर शिवसेना जिस तरह से भाजपा पर हमलावर है उसे देखकर यह धारणा बनती जा रही है कि दोनों के बीच गठबंधन का यह आखिरी दौर चल रहा है। लेकिन शनिवार  को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना के प्रति अपने प्रेम और गठबंधन की बात कहकर राजनीतिक पंडितों को फिर से अपनी धारणा पर विचार करने के लिए बाध्य कर दिया है.
नागपुर में एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना से गठबंधन और संबंध पर कहा कि हमेशा आरोप लगाया जाता है कि भाजपा का शिवसेना से एकतरफा प्रेम है, लेकिन यह सही नहीं है।शिवसेना को भी भाजपा से उतना ही प्रेम है। लेकिन हम अपने प्यार को जाहिर करते हैं, जबकि वे हमसे छुपकर प्रेम करते हैं। गठबंधन पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें गठबंधन करना है। दशहरा रैली में उद्धव ठाकरे द्वारा दिए गए भाषण से सब कुछ स्पष्ट हो गया है। उन्होंने विश्‍वास जताया कि हमारा गठबंधन बना रहेगा.
मुख्यमंत्री के इस बयान को लेकर शिवसेना की तरफ से अभी फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन मुख्यमंत्री के बयान ने यह जरूर साफ कर दिया है कि शिवसेना-भाजपा में अभी बहुत कुछ बाकी है जो लोकसभा और विधानसभा चुनाव तक खुलकर सामने आएगा।एक तरफ शिवसेना द्वारा कराए गए सर्वे के नतीजे शिवसेना को चेतावनी दे चुके हैं कि उसका गठबंधन से बाहर जाना खतरनाक साबित हो सकता है, वही दूसरी तरफ राज्य सरकार ने 4 साल में जनता से किए कई ऐसे वादे हैं जो पूरे नहीं किए हैं और चुनाव में उसका जवाब देना पड़ सकता है।ऐसे में भाजपा-शिवसेना दोनों के लिए एक-दूसरे का हाथ थामकर चलना जरूरी भी है और मजबूरी भी। देवेंद्र फडणवीस ने इस कड़वे सच को स्वीकार कर लिया है। देखना होगा उद्धव ठाकरे कब और किस रूप में इसे स्वीकारते हैं।