इसरो ने फिर रचा इतिहास, लॉन्च किए 31 सैटेलाइट

श्रीहरिकोटा: समाचार ऑनलाइन – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है। इसरो ने पोलर सैटेलाइट लॉन्च वीइकल (पीएसएलवी) सी-43 द्वारा 31 सैटेलाइट को लॉन्च कर दिया है। इसे आन्ध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 9 बजकर 58 मिनट में छोड़ा गया। इसमें भारत का हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट (HySIS) और 8 देशों के 30 दूसरे सैटेलाइट शामिल हैं। हाइपरस्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट को प्रक्षेपण के 17 मिनट 27 सेकंड बाद कक्षा में स्थापित कर दिया गया। इनमें से 23 सैटेलाइट अमेरिका और बाकी आस्ट्रेलिया, कनाडा, कोलंबिया, फिनलैंड, मलेशिया, नीदरलैंड और स्पेन के हैं।  इसरो की वाणिज्यिक शाखा एंट्रिक्स कॉरपोरेशन लिमिटेड के माध्यम से प्रक्षेपण के लिए उपग्रहों का वाणिज्यिक अनुबंध किया गया है।

इमेजिंग सैटलाइट पृथ्वी की निगरानी के लिए इसरो द्वारा विकसित किया गया है। यह पीएसएलवी-सी43 मिशन का प्राथमिक उपग्रह है। अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि हाइपरस्‍पेक्‍ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट प्राथमिक लक्ष्य पृथ्वी की सतह का अध्ययन करना है। प्रक्षेपण यान के रवाना होने के बाद महज 112 मिनट में संपूर्ण अभियान पूरा हो जाएगा। रॉकेट का चौथा चरण उड़ान भरने के महज 16 मिनट बाद शुरू हो जाएगा। 17 मिनट से अधिक की उड़ान भरने पर पीएसएलवी रॉकेट हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट को कक्षा में स्थापित कर देगा जो वहां पांच साल तक रहेगा।

इसके बाद रॉकेट 642 किलोमीटर की ऊंचाई से नीचे 503 किलोमीटर पर आएगा और उड़ान भरने के करीब 112.79 मिनट के भीतर अंतिम उपग्रह को उसकी कक्षा में पहुंचा देगा। इसरो ने इससे पहले जनवरी में दो घंटे तक उपग्रह प्रक्षेपण अभियान चलाया था।  सभी 30 उपग्रह 504 किलोमीटर की कक्षा में स्थापित किए जाएंगे।

क्यों है ख़ास
इमेजिंग सैटेलाइट से धरती के चप्पे-चप्पे पर नजर रखना आसान हो जाएगा। इसकी एक खूबी यह भी है कि यह डिजिटल इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी की शक्ति को जोड़ता है। हाइस्पेक्स इमेजिंग अंतरिक्ष से एक दृश्य के हर पिक्सल के स्पेक्ट्रम को पढ़ने के अलावा पृथ्वी पर वस्तुओं, सामग्री या प्रक्रियाओं की अलग पहचान भी करता है। इससे पर्यावरण सर्वेक्षण, फसलों के लिए उपयोगी जमीन का आकलन, तेल और खनिज पदार्थों की खानों की खोज आसान होगी। छोड़े गए 31 सैटेलाइट का कुल भार 261.5 किलो है।