गुटखा खराब है, यह समझने में 30 साल लग गए – पूर्व आयुक्त महेश झगडे

पुणे | समाचार ऑनलाइन

गुटखा खराब है, इससे कैंसर होता है। इसके बावजूद यह समझने में 30 साल लग गए। ठीक उसी तरह ऑनलाइन दवाई विक्री को लेकर 30 साल बाद उसका असर दिखेगा, तब क्या करोगे। करोड़ो रुपए की प्रिस्क्रिप्शन ऑनलाइन कैसे जांच करोगे। इन सवालों को लेकर औषध विक्रेता संगठन, ग्राहक संगठन देर से जागी है। ऐसे विचार अन्न व औषध प्रशासन के पूर्व आयुक्त महेश झगडे ने व्यक्त किए हैं। पुणे महानगर परिषद इस संस्था की ओर से आयोजित किए गए ऑनलाइन औषध विक्री-उचित या अनुचित इस महाचर्चा के दौरान वे बोल रहे  थे।

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इस दौरान झगडे ने कहा कि हर साल एक लाख नागरिक गलत दवाईयों की वजह से मर जाते हैं। जिस तरह से दवाईयां जान बचाती है, उसी तरह से जान ले भी लेती है। ऑनलाइन खरीदी की वजह से दवाईयां सही है या गलत, दवाईयां तैयार करनेवाले फार्मासिस्ट है या नहीं…यह समझ नहीं पाते हैं। इसलिए ऑनलाइन दवाईयां खरीदना खतरनाक है। मरीजों की जिंदगी से खेलनेवाले ऑनलाइन दवाई विक्रेताओं को अनुमति देना नागरिकों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड करना है।

[amazon_link asins=’B0756RCTK2,B07DB85QZ3,B07FH4PDHJ’ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’1de298ce-c2ec-11e8-99c8-3be8ae5c5568′]ऑनलाइन दवाई विक्री प्रतिनिधी बोरा ने कहा कि जिन लोगों को पुरानी बीमारी है, महीने में तय दवाईयां ही खरीदी करनी पड़ती है। ऐसे ग्राहकों के लिए ऑनलाइन दवाई खरीदी करना फायदेमंद है। तय समय में ही दवाई मिलेगी, ऑनलाइन औषध विक्रेताओं को शासन की ओर से प्रमाणित किया गया है और प्रशिक्षित किया गया है।

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