अदालत में टिक सके इस तरीके से होगा मराठा आरक्षण का फैसला

मुंबई। समाचार ऑनलाइन
 आये दिन उग्र बनते जा रहे मराठा आरक्षण के आंदोलन के मद्देनजर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने गुरुवार सह्याद्रि अतिथिगृह में मराठा समाज के विचारवंतों और प्रतिष्ठितों के साथ बैैैठक की। उनके साथ राय- मशवरा करने के बाद भाजपा विधायकों की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने ऐलान किया कि उनकी सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने को लेकर सकारात्मक है। कानून और अदालत के समक्ष टिक सके इस तरीके से आरक्षण देने की प्रक्रिया शुरू की गई है। माना जा रहा है कि नवंबर के शुरुआती दिनों में मराठा आरक्षण बिल लाया जा सकता है।
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भाजपा विधायकों की बैठक से पूर्व मुख्यमंत्री मराठा समाज के प्रतिष्ठितों, विचारवंतों, कलाकारों, पूर्व न्यायाधीशों, आईएएस अधिकारीयों के साथ इस मसले का हल निकालने के मुद्दे पर चर्चा की और उनसे राय मशवरा किया। इस बैठक में मुख्यमंत्री ने जिन प्रतिष्ठितों को आमंत्रित किया है उनमें शामिल कोल्हापुर के छत्रपति शाहू महाराज, इतिहास संशोधक जयसिंग पवार, प्रतापसिंह जाधव ने इस बैठक में शामिल होने से इंकार कर दिया है। मराठा आंदोलनकारियों के साथ चर्चा करने के बाद इन तीनों ने भी बैठक में जाने से मना कर दिया है। राज्यभर में 58 मोर्चे निकालने के बाद भी मराठा समाज की भावनाओं को मुख्यमंत्री समझ नहीं पाए हैं, तो अब क्या समझेंगे? यह कहकर शाहू महाराज ने सरकार पर निशाना साधा है।
बैठक की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि, राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के नेताओं के साथ आज बैठक हुई और मराठाओं को कानूनी तरीके से आरक्षण देने के लिए एक संयुक्त बयान पर दस्तखत किए गए। राज्य सरकार मराठा आरक्षण के समर्थन में पूरी तरह से खड़ी है। हम इसे जल्द से जल्द करने के लिए जरूरी प्रक्रिया के हिसाब से चल रहे हैं। उनकी सरकार मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है। हमने पिछड़े वर्ग आयोग को इस मुद्दे का परीक्षण करने के लिए कह दिया है। आयोग 31 अक्‍टूबर तक अपनी रिपोर्ट सौंप सकता है। यह रिपोर्ट राज्‍य कैबिनेट के समक्ष पेश की जाएगी और विशेष सत्र में एक विधेयक पेश किया जाएगा। हमें यह वास्‍तव में साबित करना होगा कि मराठा वास्‍तव में सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए हैं। उनकी असाधारण परिस्थितियों और पिछड़ेपन को देखते हुए मराठा लोगों को आरक्षण दिया जाना चाहिए।