मराठा आरक्षण : सहनशीलता का अंत न देखें मुख्यमंत्री , कहकर एक और ने दी जान

बीड़। समाचार ऑनलाइन
नौकरी तथा शैक्षिक संस्थाओं में 16 फीसद आरक्षण की मांग को लेकर मराठा समुदाय के आंदोलन के साथ ही खुदकुशी के सिलसिला कहीं थमता नजर नहीं आ रहा। शनिवार को बीड जिले में दो और लोगों ने आरक्षण की मांग को लेकर मौत को गले लगा लिया। इनमें से एक तो खुदकुशी से पहले लिखे सुसाइड नोट में मुख्यमंत्री को मराठा समाज की सहनशीलता का अंत न देखने की चेतावनी दी है।

बीड जिले के बेदुकवादी शिवार में आज सुबह शिवाजी तुकाराम काटे नामक 42 वर्षीय व्यक्ति नर फांसी लगाकर आत्महत्या किये जाने का मामला सामने आया है। उनकी जेब से मिले सुसाइड नोट में मुख्यमंत्री को मराठा समाज की सहनशीलता का अंत न देखने की चेतावनी दी गई है। दूसरी घटना पाटोदा तालुका के डोंगरकिन्ही कानिफ दत्तात्रय येवले नामक 45 वर्षीय व्यक्ति ने ज़हरीली दवा पीकर अपनी जान दे दी। उनके भाई कल्याण येवले ने पुलिस को बयान दिया है कि उन्होंने मराठा आरक्षण के साथ ही बेटी की शादी और बच्चों की पढ़ाई की चिंता में खुदकुशी की है। उनके परिवार को मदद और एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग को लेकर येवले के परिजनों ने उनका मृतदेह कब्जे में लेने से मना कर दिया है।

[amazon_link asins=’B00IN3WZYA,B07CTVNRDV,B01MTQ5M7B’ template=’ProductCarousel’ store=’policenama100-21′ marketplace=’IN’ link_id=’76c96fe0-97f3-11e8-b13d-c3fe4650654e’]

इससे पहले शुक्रवार को औरंगाबाद शहर की चौधरी कॉलोनी की उमेश इंडाइत  युवक ने खुदकुशी कर ली थी। उसके सुसाइड नोट अपने माता- पिता का सपना साकार न कर सकने को लेकर उनसे क्षमा भी मांगी है। उसने लिखा है कि, मेरी पढाई अधूरी रह गई। बीएससी करने के बाद भी मुझे नौकरी नहीं मिल रही। क्या मैं मराठा हूं इसलिए नौकरी नहीं मिल पा रही है? उमेश की मौत से जहां उसके परिजनों को आघात पहुंचा है वहीं उसके सुसाइड नोट ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। इससे पहले उस्मानाबाद जिले के देवलाली गांव में तृष्णा तानाजी माने (19) नामक छात्रा ने जहरीली दवा पीकर अपनी जान दे दी। मराठा आरक्षण आंदोलन में वह सक्रिय थी मराठा मूक मोर्चा में भी उसने हिस्सा लिया था। मराठा आंदोलन से वह काफी बेचैन थी। इसी बेचैनी में उसने बुधवार को घर में ही जहर पी लिया। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 30 जुलाई को औरंगाबाद की मुकुंदवाडी में प्रमोद होरे पाटिल नामक 31 वर्षीय युवक ने ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या कर ली। उसने खुदकुशी से पहले फेसबुक पर मराठा आरक्षण की मांग को लेकर सुसाइड करने की पोस्ट अपलोड की थी। 29 जुलाई को नांदेड़ के दाभड़ में कचरू दिगंबर कल्याणे नामक 42 साल के युवक ने फांसी लगाकर जान दे दी। 24 जुलाई को जगन्नाथ सोनवणे नामक किसान ने जहर पीकर आत्महत्या कर ली। इसके पहले 22 जुलाई को औरंगाबाद के कायगांव टोका गांव में काकासाहेब शिंदे नामक युवक ने गोदावरी नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली। यहीं से मराठा आंदोलन की आग पूरे महाराष्ट्र में भड़की है।