ओला- उबर को टक्कर देने तैयार मुम्बईकर युवाओं की ‘एस3’ कैब सर्विस

मुख्यमंत्री के हाथों कल होगा उदघाटन

मुंबई। पुणे समाचार ऑनलाइन

आईटी कंपनियों के लिए कैब सर्विस देनेवाली कंपनियों की मनमानी से निजात दिलाने के लिहाज से मुंबई के दो मराठी युवाओं ने मराठी चालकों और संगठनों को साथ लेकर अपनी नई कैब सर्विस शुरू की है। एस3 कैब सर्विस के नाम से इस कैब सेवा का उदघाटन कल (12 मई) मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के हाथों मुंबई में किया जा रहा है।

पुणे, मुंबई में कैब सर्विस मुहैया करनेवाली कंपनियों का जाल से बिछ गया है। इनमें ओला- उबर जैसी कंपनियों की मोनोपॉली है। उनकी मनमानी से आमजन त्रस्त हो चुके हैं। आये दिन इन कैब सर्विस के चालकों के भी नये- नए कारनामे सामने आ रहे हैं। इसे ध्यान में लेकर प्रफुल्ल शिंदे और राजेश कालदाते नामक दो मुम्बईकर युवा नई कैब सर्विस की संकल्पना लेकर मारे- मारे फिरते रहे। उन्हें जरूरत थी फाइनांस की ताकत देनेवाले हाथों की, जिसे भारत फ्रेट नामक कम्पनी ने साथ दिया। अब एस3 के नाम से नई कैब सर्विस शुरू होने जा रही है। एस3 का पूरा नाम सह्याद्रि स्मार्ट सेफ प्राइवेट लिमिटेड, जो न केवल ओला उबर जैसी दिग्गज कंपनियों को टक्कर देने बल्कि लोगों को नया विकल्प भी उपलब्ध कराने जा रही है।

प्रफुल्ल और राजेश बीते सालभर से इस कैब कंपनी की शुरुआत के लिए प्रयासरत थे। इसकी संकल्पना तैयार करते वक़्त ओला औऱ उबर कैब कंपनियों की सेवाओं में रही त्रुटियों का अध्ययन किया गया और उसमें क्या सुधार लाया जा सकता है, इसका पूरा विचार कर नई कैब सेवा की नींव रखी। यह सेवा केवल मोबाइल ऐप ही नहीं बल्कि फोन पर बीबी उपलब्ध है। यानी जो लोग स्मार्टफोन इस्तेमाल नहीं करते वे भी इसका लाभ पा सकते हैं। ओला, उबर जैसी नामी कंपनियों की तुलना में इसका किराया काफी कम होगा और किराया निर्धारण की प्रणाली भी अलग होगी, यह दावा किया जा रहा है। यात्रियों के साथ साथ चालकों की सुरक्षा का भी इसमें पूरा ध्यान रखा गया है। चालक के मोबाइल के फ्रंट कैमरे के जरिए सर्वर में पूरा रिकॉर्ड रखा जाएगा जिससे आपातकाल में तत्काल मदद मिलना संभव हो सकेगा। एक माह में ही कंपनी में 800 से ज्यादा चालकों का रजिस्ट्रेशन हुआ है, अब तक 10 टैक्सी यूनियन ने इन कैब सेवा का समर्थन किया है। शुरू में यह सेवा केवल मुंबई में उपलब्ध होगी, बाद में इसका विस्तार किया जायेगा। अब देखना यह है कि, यह नई कैब सेवा ओला, उबर जैसी दिग्गज कंपनियों को टक्कर देने और यात्रियों के पसंद की कसौटी पर खरी उतरने में कितनी कामयाब होती है?