Bombay High Court | मानसिक रूप से प्रताड़ित महिला को  23वा  सप्ताह में गर्भपात की हाईकोर्ट से  परमिशन 

मुंबई (Mumbai News), 20 अगस्त : Bombay High Court | पति द्वारा लगातार की  जा रही  पारिवारिक हिंसा (family violence) की वजह से महिला के मानसिक स्थिति पर इसका असर हुआ. इसलिए घरेलू हिंसा को गर्भपात (गर्भपात) के लिए उचित कारण बताने वाला  महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मुंबई हाई कोर्ट (Bombay High Court) ने एक 23 सप्ताह की गर्भवती को गर्भपात कराने की परमिशन दी है। घरेलू हिंसा की शिकार एक 22 वर्षीय महिला ने गर्भपात के लिए याचिका दायर की थी।  कानून के अनुसार गर्भधारण के 20 सप्ताह के बाद गर्भपात के लिए हाईकोर्ट की परमिशन आवश्यक है.

इसके अनुसार इस महिला ने हाई कोर्ट (Mumbai High Court) से न्याय मांगने के लिए याचिका दायर की थी।  इस मामले में हाई कोर्ट ने  जे जे हॉस्पिटल से  जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. इसके अनुसार समिति दवारा दी गई रिपोर्ट में कहा गया कि पीड़िता का गर्भ निरोगी है। उस पर कोई असर नहीं हुआ है।  लेकिन महिला को काफी मानसिक तनाव (mental stress) का सामना करना पड़ा था।  इस गर्भ से उसके मानसिक तनाव में और वृद्धि होगी।  लेकिन समिति  सुझाव दिया था कि परामर्श से पारिवारिक कलह कम हो सकती है।

राज्य सरकार की तरफ से महिला के गर्भपात (abortion) का विरोध किया गया था।  लेकिन महिला ने पति दवारा दिए गए शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना की वजह से परामर्श से इंकार  कर दिया।  पीड़िता की तरह से तर्क दिया गया कि पति की पिटाई की वजह से उसके चेहरे और पेट पर जख्म हुआ है।  इसलिए अब पति से तलाक लेंगे और इसकी क़ानूनी प्रक्रिया कोर्ट (Court) में चल रही है। इसलिए इस गर्भ को और नहीं बढ़ाना है।

इस पर न्यायमूर्ति उज्जवल भुयान और न्यायमूर्ति माधव जामदार (Madhav Jamdar) की खंडपीठ ने सुरक्षित रखे फैसले को हाल ही में सुनाया।  इसके अनुसार अगर महिला गर्भधारण रखती है तो उसकी मानसिक स्थिति बिगड़ सकती है।

साथ ही घरेलु हिंसा के कारण उसकी मानसिक स्थिति पर असर हुआ और मेडिकल की दृष्टि से गर्भधारण खत्म हो सकता है।  इस तरह से कोर्ट ने अपने फैसले में महिला को गर्भपात की परमिशन दे दी है।

 

 

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