अब आरक्षण के लिए मुस्लिम समुदाय का निकला मूकमोर्चा

पुणे। समाचार ऑनलाइन

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन की आग में झुलसे महाराष्ट्र में अब दूसरे समुदाय भी आक्रामक हो चुके हैं। हालिया धनगर समाज के आन्दोलन के बाद अब मुस्लिम समुदाय ने भी आरक्षण की मांग को लेकर आवाज बुलंद की है। इस कड़ी में रविवार को पुणे में समुदाय का मूकमोर्चा निकाला गया। आज सुबह पुणे के गोलीबार मैदान से कॉउंसिल हॉल तक मूकमोर्चा निकाला गया। इसमें किसी भी किस्म की नारेबाजी करने से मनाही करते हुए शांति पूर्ण तरीके से मोर्चा निकालने की अपील की गई थी, जिसका मोर्चा में शामिल लोगों ने कड़ाई से पालन किया।

मुस्लिम समाज को आरक्षण, संरक्षण देने और उनपर होने वाले अन्याय व हमलों के विरोध में एट्रोसिटी जैसा कड़ा कानून अमल में लाने की मांग जोर पकड़ रही है। इस मांग को लेकर आज सुबह पूरे जिले से मुस्लिम समुदाय के लोग गोलीबार मैदान में इकट्ठा होने लगे। पिंपरी चिंचवड़ से भी काफी तादात में मुस्लिम समुदाय के लोग इस आंदोलन में शरीक होने पुणे पहुंचे थे। इस मोर्चे का नेतृत्व किसी सियासी दल या संगठन ने नहीं बल्कि पुणे, पिंपरी चिंचवड़ शहर और पुणे जिला मुस्लिम महामोर्चा के बैनर तले पूरा मुस्लिम समुदाय यहां इकट्ठा हुआ और मोर्चा में शामिल हुआ।

सुबह ठीक 11 बजे गोलीबार मैदान से इस मूकमोर्चा की शुरुआत की गई। इसमें जिले के कोने- कोने से हजारों की तादात में आये मुस्लिम समुदाय के लोग शरीक हुए। इस मोर्चे में युवाओं और महिलाओं की हिस्सेदारी उल्लेखनीय रही। गोलीबार मैदान से निकला यह मोर्चा सेवन लव्ज़ चौक, सोनवणे हॉस्पिटल, रामोशी गेट, केईएम हॉस्पिटल, नरपतगिरी चौक से पुणे जिला परिषद की पुरानी इमारत के सामने से डॉ बाबासाहब आंबेडकर स्मारक से साधु वासवानी चौक से कॉउंसिल हॉल का सामने पहुंचा।इस मोर्चा के नियोजन के लिए तीन हजार स्वयंसेवक तैनात किए गए थे।

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मूकमोर्चा की खास बात यह रही कि, इसमें सबसे आगे लड़कियां, उनके पीछे महिला, बुजुर्ग, युवा और सबमें पीछे सियासी दलों के नेता व कार्यकर्ता थे। उनके हाथों में मुस्लिमों को एट्रोसिटी जैसे कड़े कानून का संरक्षण देने की मांग के बोर्ड झलक रहे थे। इस मूकमोर्चा के जरिए मुस्लिमों को पांच फीसदी आरक्षण, गोरक्षा, लव जिहाद और अन्य कारणों से मॉब लीचिंग के जरिये निशाना बनाने वालों को कड़ी सजा देने, मुस्लिमों के सरंक्षण के लिए एट्रोसिटी जैसा कानून अमल में लाने, वक्फ बोर्ड की जमीनों को अतिक्रमण से मुक्त बनाने, दलितों और मुस्लिमों पर अन्याय, अत्याचार की रोकथाम हो जैसी कई मांगें की गई है।