राज्य में मीडिया कर्मियों के रजिस्ट्रेशन व अधिकारों को लेकर एनयूजे महाराष्ट्र आग्रही

पुणे। पुणे समाचार ऑनलाइन

नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट (एनयूजे) महाराष्ट्र की ओर से मीडिया क्षेत्र की मौजूदा स्थिति और उसके लिए आगामी रणनीति तय करने के लिहाज से राज्यस्तरीय बैठक आयोजित सम्पन्न हुई। इसमें राज्यभर मीडिया कर्मियों के अधिकारों के लिए मुहिम चलाना तय किया गया। इसी कड़ी में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिन पर राज्य के श्रम आयुक्त देवेंद्र पोयम को ज्ञापन देकर राज्य के मीडिया कर्मियों का श्रम कानून के तहत रजिस्ट्रेशन कर सभी बुनियादी अधिकार दिलाने का आग्रह किया गया।

विश्व श्रम दिवस पर एनयूजे की बैठक में एनयूजे इंडिया के उपाध्यक्ष शिवेंद्रकुमार प्रमुख मार्गदर्शक के तौर पर मौजूद थे। महासचिव शीतल करदेकर ने यूनियन के आगामी उपक्रमों की जानकारी देते हुए मीडिया कर्मियों की समस्याओं की ओर सभी का ध्यानाकर्षित किया। बैठक में विविध जिलों से आये वैशाली आहेर, सतीश रूपवते, भरत गायकवाड, संतोष पाटील, महेंद्र जगताप, मंगेश म्हात्रे, उमेश राऊत, विशाल सावंत, रोहिणी सालुंखे, दिलीप कागडा, संदिप टक्के, स्वप्निल शिंदे, योगेश मोरे, कैलास उदमले आदि पत्रकारों ने अपने विचार रखे।

इस बैठक में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिन पर श्रम आयुक्त को ज्ञापन सौंपकर पत्रकारों के अधिकारों के लिए राज्य भर मुहिम चलाना तय किया गया। इसके अनुसार कल एनयूजे की महासचिव शीतल करदेकर के नेतृत्व में श्रम आयुक्त नरेद्र पोयम को ज्ञापन सौंप कर मीडिया कर्मियों की समस्याओं और प्रबंधन द्वारा किये जा रहे उनके शोषण की ओर ध्यानाकर्षित किया गया। उन्हें निर्भयता व हक के साथ जीने के लिए श्रम कानून के तहत उनका रजिस्ट्रेशन करने और सभी बुनियादी अधिकार दिलाने की मांग की गई।

करदेकर के नेतृत्व में श्रम आयुक्त से मिले प्रतिनिधि मंडल में वरिष्ठ फोटोग्राफर दिलीप कागंडा, महेंद्र जगताप, मेहूलकुमार, राजेश दलवी आदि शामिल थे। ज्ञापन में कहा गया है कि, अखबारों के साथ ही टीवी व अन्य मीडिया कर्मियों का हर स्तर पर शोषण किया जा रहा है। उन्हें न्यूनतम वेतन तक नहीं दिया जाता, आठ घंटे से कहीं ज्यादा काम कराया जा रहा है। उन्हें उनके हक की छुट्टियों से वंचित रखा जा रहा है, स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं दी जा रही, कईयों को तो केवल विज्ञापन एजेंट बनाकर रख दिया गया है। वरिष्ठों द्वारा उनका मानसिक शोषण किया जा रहा है, नौकरी की सुरक्षा या कोई गारंटी नहीं है। इन समस्याओं की ओर ध्यानाकर्षित कर सभी मीडिया कर्मियों का श्रम कानून के तहत रजिस्ट्रेशन कर उन्हें इसी कानून के तहत न्यूनतम वेतन, हक की छुट्टी, स्वास्थ्य सुविधा आदि अधिकार दिलाने, महिलाओं के लिए हर मीडिया में विशाखा समिति का गठन कराने की अनिवार्यता करने, मजीठिया आयोग की सिफारिशों को अमल में लाने, ट्रांसफर और प्रमोशन में मनमानी रोकने एवं श्रम कानून व नियमों की पूर्तता न करनेवाले मीडिया प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई है।