तेल के खेल में सरकार भर रही झोली, तीन गुना बढ़ी कमाई

नई दिल्ली:

पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने आम आदमी की जेब भले ही खाली कर दी हो, लेकिन सरकार की कमाई में दिन दुगनी, रात चौगुनी तरक्की हुई है। पेट्रोल-डीजल एवं अन्य पेट्रोलियम उत्पादों पर लगे टैक्स से केंद्र सरकार की कमाई पांच साल में करीब तीन गुनी बढ़ गई है। अप्रैल 2011 में जब इंडियन बॉस्केट कच्चे तेल की कीमत 118.64 डॉलर के एतिहासिक शीर्ष स्तर पर थी, तब भी दिल्ली में पेट्रोल 58.37 रुपये जबकि डीजल 37.75 रुपये प्रति लीटर बिका था। जबकि आज इसके 73 डॉलर प्रति बैरल होने के बावजूद तेल के दामों में आग लगी हुई है।

कुछ ऐसे बढ़ी कमाई
वित्त मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2013-14 में केंद्र सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों पर टैक्स एवं सेस के मद में 88,600 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था। यह 2014-15 में बढ़ कर 1,05,653 करोड़ रुपये,2015-16 में 1,85,956 करोड़ रुपये, 2016-17 में 2,53,254 करोड़ रुपये और वर्ष 2017-18 में दिसंबर तक 2,01,592 करोड़ रुपये पर आ गया था। 2018-19 के बजट में कुल 2,57,850 करोड़ रुपये के राजस्व वसूली का लक्ष्य तय किया है। यह वर्ष 2013-14 में हुई कुल वसूली के मुकाबले 2.91 गुना ज्यादा है।

भाजपा के आते ही दाम बढ़े?
पेट्रोलियम मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, अभी तक इंडियन बॉस्केट का सबसे महंगा क्रूड अप्रैल 2011 में खरीदा गया है। उस समय यह प्रति बैरल 118.64 डॉलर पर था। उस समय दिल्ली में पेट्रोल 58.37 रुपये जबकि डीजल 37.75 रुपये प्रति लीटर बिक रहे थे। जब मई 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार आई तो क्रूड के भाव 106.85 डॉलर प्रति बैरल पर थे। उस समय दिल्ली में पेट्रोल 71.41 रुपये और डीजल 56.71 रुपये प्रति लीटर बिका था।