जीएसटी का एक साल, कुछ राहत, कुछ परेशानियां

गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी को लागू हुए लगभग एक साल हो गया है। यह 1 जुलाई 2017 को अमल में आया था। इस एक साल में जीएसटी के चलते कई बदलाव हुए हैं, सबसे पहला तो यही कि अलग-अलग टैक्स की जगह अब एक टैक्स आ गया है। कुछ हद तक इसने कारोबारियों की दिक्कतें कम की हैं, क्योंकि जहां पहले छोटे बड़े कुल मिलाकर 17 तरह के टैक्स लगते थे, अब केवल एक टैक्स रह गया है। हालांकि, इसके बावजूद जीएसटी से अधिकांश कारोबारियों को शिकायतें हैं। उनका कहना है कि कारोबार करना पहले के मुकाबले मुश्किल हो गया है। आइए जीएसटी से हुए बदलावों पर एक नज़र डालते हैं:
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जीएसटी को लेकर आशंका जताई जा रही थी कि इससे महंगाई बढ़ेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वैसे हाल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में इजाफा हुआ है, लेकिन इसकी वजह जीएसटी नहीं है बल्कि तेल की बढ़ती कीमतें हैं। हालांकि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि जीएसटी लगने के बाद कई अन्य तरह से उनकी जेब ढीली हो रही है।
जीएसटी आने के बाद सबसे बड़ा फायदा ये हुआ है कि टैक्स फाइल करने वालों की संख्या बढ़ गई। जीएसटी के आने के बाद 1 करोड़ से भी ज्यादा कारोबारियों ने अपना रजिस्ट्रेशन कराया है। वैसे, सरकार के टैक्स कलेक्शन में अभी उतना इजाफा नहीं हुआ जितना होना चाहिए था।
इसक एक बड़ा फायदा यह भी हुआ है कि टैक्स चोरी रुक गई है। कारोबारियों को अपना टैक्स रिटर्न डिजिटल तरीके से भरना होता है और ग्राहकों को दिए गए बिल में जीएसटी का विवरण देना होता है जिससे कारोबारियों द्वारा की जा रही टैक्स चोरी में भी कमी आई है।
जीएसटी का फायदा ट्रक ड्राइवर और ऐसे कारोबारियों को भी हुआ है जिनका माल एक शहर से दूसरे शहर जाता है। एक टैक्स व्यवस्था से राज्यों के बॉर्डर पर लगने वाले ट्रकों की लंबी लाइनें छोटी गई है। अब ट्रक बिना किसी परेशानी के ई-वे बिल के जरिए राज्यों की सीमाओं को पार कर सकते हैं। इससे माल के परिवहन का खर्चा भी कम हुआ और समय की भी बचत हुई।