पिंपरी चिंचवड: 3530.38 करोड़ रुपए की फाइलें गायब!

विशेष लेखा परीक्षण रिपोर्ट में 3910.27 करोड़ रुपए की आपत्तियाँ लंबित

पिंपरी। संवाददाता

स्थापना से लेकर 18 वर्षों तक के कामकाज का लेखा परीक्षण नहीं कराए जाने का मामला सामने आने के बाद उच्च न्यायालय के आदेशानुसार पिंपरी चिंचवड़ मनपा में आंतरिक लेखा परीक्षण कराया जा रहा है। इसके प्राप्त हुए ताजा अपडेट के मुताबिक लेखा परीक्षण के लिए आज तक 3530 करोड़ 38 लाख 42 हजार 765 रुपए के कामकाज की फाइलें उपलब्ध नहीं हो सकी हैं। यह जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता मारुति भापकर ने फाइलें गायब करनेवाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर पुनः उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है।

भापकर ने 1999- 2000 में मुंबई उच्च न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर कर पिंपरी चिंचवड़ मनपा की स्थापना से लेकर 18 सालों के कामकाज का लेखा परीक्षण (ऑडिट) नहीं कराए जाने की शिकायत की है। इसे गंभीरता से लेते हुए न्यायालय ने 18 सालों के कामकाज का आंतरिक लेखा परीक्षण और याचिका में उठाए गए मुद्दों का विशेष लेखा परीक्षण करने के आदेश राज्य सरकार को दिए हैं। इसके अनुसार अब तक किये गए लेखा परीक्षण में कई गंभीर मुद्दे सामने आए हैं। इसमें सबसे गंभीर जानकारी तो यह सामने आई है कि 3530 करोड़ 38 लाख 42 हजार 765 रुपए के कामकाज की फाइलें ही गायब हैं। इसे अब तक लेखा परीक्षण के लिए उपलब्ध नहीं कराया जा सका है।

सोमवार को मनपा के मुख्य लेखा परीक्षक ने याचिकाकर्ता को अब तक के लेखा परीक्षण का लेखा जोखा भेजा है। 1982-1983 से 2014-2015 तक के लेखा परीक्षण की रिपोर्ट में 434 करोड़ 18 लाख 6986 रुपए के कामकाज संबंधित एक लाख 23 हजार 433 आपत्तियाँ दर्ज हुई हैैं। इसमें से 133 करोड़ 9 लाख 28 हजार 222 रुपए की 85 हजार 125 आपत्तियों का निपटारा हो सका है। अभी भी 301 करोड़ 8 लाख 78 हजार 764 रुपए की कुल 38 हजार 318 आपत्तियों का निपटारा होना बाकी है। कुल आपत्तियों में से 106 करोड़ 58 लाख 96 हजार 444 रुपए वसुलपात्र पाए गए थे जिसमें से 49 करोड़ 87 लाख 57 हजार 618 रुपए का निपटारा हो गया है जबकि 56 करोड़ 71 लाख 38 हजार 826 रुपए का निपटारा होना बाकी है।

लेखा परीक्षण के लिए मंगाई गई 3984 करोड़ 37 लाख 83 हजार 23 रुपए के कामकाज की फाइलें गायब थी। जिसमे से अब तक 453 करोड़ 99 लाख 40 हजार 258 रुपए की फाइलें उपलब्ध होने से उनका निपटारा किया जा चुका है। हालांकि 3530 करोड़ 38 लाख 42 हजार 765 रुपए की फाइलें अब तक गायब ही रहने की जानकारी सामने आई है। लेखा परीक्षण में अब तक सामने आई आपत्ति, लंबित आपत्तिजनक और वसुलपात्र राशि आदि को लेकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लगातार नजरअंदाज किये जाने का आरोप लगाते हुए मारुति भापकर ने पुनः उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की चेतावनी दी है।