पिंपरी चिंचवड़ मनपा के 170 कर्मचारियों पर गिरेगी गाज

पिंपरी। समाचार ऑनलाइन

प्रशासन का ‘कप्तान’ बदलते ही कामचोरों की आयी शामत

प्रशासन पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं रहने और लापरवाह व कामचोर अधिकारी व कर्मचारियों पर कोई अंकुश नहीं रहने की शिकायतें और आरोप लगातार किए जा रहे हैं। इससे गंभीरता से लेते हुए पिंपरी चिंचवड मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर ने प्रशासन विभाग का ‘कप्तान’ बदलने का अहम फैसला किया है। इसके अनुसार सहायक आयुक्त मंगेश चित्रलेखा चितले को प्रशासन विभाग का पदभार सौंपा गया है। कप्तान के बदलते ही मनपा के अलसी और कामचोर अधिकारी व कर्मचारियों की शामत आ गई है। गत 2 दिनों में मनपा के सतर्कता विभाग द्वारा की गई सरप्राइस चेकिंग में 170 कर्मचारी दोषी पाए गए। अब इन कर्मचारियों पर गाज गिरनी तय माना जा रहा है।

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ऑन ड्यूटी कार्यस्थल से बाहर रहकर दूसरे कामों में व्यस्त रहना, हाजिरी लगाकर यहां वहां गायब रहना और हाजिरी लगाने के बाद अपने अपने उद्योग धंदे में मशगूल हो जाना, मनपा के कई कर्मचारियों की आदत बन चुकी है। तत्कालीन मनपा आयुक्त डॉ श्रीकर परदेशी जाने के बाद से ऐसे अधिकारी और कर्मचारियों पर किसी तरह का कोई अंकुश रखने में कोई भी आयुक्त सफल नहीं रहा। मौजूदा मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर के अब तक कार्यकाल में तो ऐसे कर्मचारी पूरी तरह से बेलगाम हो चुके हैं। मनपा की सर्व साधारण सभा से लेकर दूसरी समितियों के बैठक तक जनप्रतिनिधियों द्वारा ऐसे आरोप लगातार किये जा रहे हैं। आखिरकार मनपा आयुक्त हार्डिकर ने इसे गंभीरता से लिया और अतिरिक्त आयुक्त प्रवीण आष्टिकर के पास से प्रशासन विभाग का पदभार निकाल कर मंगेश चितले को सौंप दिया गया।

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प्रशासन विभाग की कमान संभालने के साथ ही सहायक आयुक्त चितले ने मनपा के सतर्कता विभाग को सक्रिय कर दिया है। बीते दिन उन्होंने खुद मनपा के तीनों मंजिलों के सभी विभागों में घूम घूम कर उनके अधिकारी व कर्मचारी अपनी जगह पर है या नहीं? अगर नहीं है तो वे किस काम के लिए कार्यस्थल से नदारद रहे? इसकी जांच- पड़ताल की। उनके साथ ही सतर्कता विभाग भी इसकी जांच में जुटा रहा। कल की जांच में 105 और आज की जांच में 65 कर्मचारी अपने कार्यस्थल से गायब पाए गए। सभो विभागों के प्रमुखों को इन सभी कर्मचारियों को नोटिस जारी कर उनसे जवाब मांगने के आदेश दिए गए हैं। बहरहाल इससे पहले मनपा आयुक्ता श्रवण हार्डिकर ने भी ऐसी सरप्राइज चेकिंग की थी जिसमें कई कर्मचारी दोषी पाए गए। मगर उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी। ऐसे में पुनः शुरू हुई मुहिम क्या रंग लाएगी? यह सवाल खड़ा हुआ है।

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