Pune Loksabha By Election 2023 | पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा के बाद कांग्रेस की ताकत; राष्ट्रवादी के लिए माहौल अनुकूल नहीं !

पुणे लोकसभा उपचुनाव की जल्द घोषणा होगी !

पुणे : पुणेसमाचार ऑनलाइन –  Pune Loksabha By Election 2023 | पुणे शहर के मुख्‍य भाग के निर्वाचन क्षेत्र के रुप में पहचाने जाने वाले जिस पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा (BJP) के बाद कांग्रेस (Congress) की ज्‍यादा ताकत है. उस निर्वाचन क्षेत्र में राष्ट्रवादी (NCP) के लिए अनुकूल माहौल नहीं होने की बात पिछले चुनाव के मतदान की संख्‍या से स्पष्ट हो चुकी है. रिक्त हुए पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव की घोषणा जल्‍द होगी. पुणे महापालिका चुनाव (Pune PMC Elctions) में राष्ट्रवादी के नगरसेवकों की संख्या कांग्रेस की तुलना में अधिक होने के बावजूद लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में केवळ कांग्रेस से 3 नगरसेवक अधिक है. लेकिन, इन नगरसेवकों के वोट विधानसभा (Vidhansabha) व लोकसभा चुनाव में वोटों में परिवर्तित नहीं होते है यह पिछले परिणाम को देखने से पता चलता है. ऐसे में स्थानीय स्वराज्य संस्था में मिले वोटों के आधार पर सीटों के बंटवारे में प्रबल दावेदार नहीं माना जा सकता है. पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में शामिल 6 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में राष्ट्रवादी की तुलना में कांग्रेस पिछले चुनाव में वोट प्राप्‍त करती नजर आई. इसलिए भाजपा के बाद कांग्रेस की ताकत पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में है. (Pune Loksabha By Election 2023)

पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में शामिल 6 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में से 2019 के विधानसभा चुनाव में कोथरूड निर्वाचन क्षेत्र (Kothrud Vidhan Sabha Constituency) मनसे (MNS) के लिए सीट छोडे जाने के कारण यहां पर राष्ट्रवादी व कांग्रेस ने उम्‍मीदवार नहीं उतारे थे जबकि शेष 5 में से कांग्रेस को 3 जबकि राष्ट्रवादी को 2 सीटें मिली थी. इनमें केवल वडगांवशेरी निर्वाचन क्षेत्र (Vadgaon Sheri Assembly constituency) में राष्ट्रवादी को कामयाबी मिली थी जबकि कांग्रेस को हाल ही में हुए कसबा पेठ उपचुनाव (Kasba Peth ByPoll Elections) में सफलता मिली है. शेष पर्वती (Parvati Assembly Constituency) व पुणे कैन्टोन्मेंट (Pune Cantonment Assembly constituency), शिवाजीनगर विधानसभा निर्वाचन (Shivaji Nagar Assembly constituency) क्षेत्र में राष्ट्रवादी व कांग्रेस को दूसरे नंबर पर वोट मिले है. (Pune Loksabha By Election 2023)

इसी तरह से राष्ट्रवादी को वडगांवशेरी निर्वाचन क्षेत्र के मौजूदा विधायक सुनील टिंगरे (MLA Sunil Tingre) को 97 हजार 708 (45.52%) वोट जबकि पर्वती विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में अश्विनी नितिन कदम (Ashwini Nitin Kadam) 60 हजार 245 (34.67%) वोट के साथ दूसरे स्‍थान पर रही थी. इस तरह कुल 1 लाख 57 हजार 953 वोट राष्ट्रवादी को मिला था और कांग्रेस को कसबा पेठ उपचुनाव में मौजूदा विधायक रवींद्र धंगेकर को 73 हजार 309 (52.98%) वोट जबकि शिवाजीनगर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के दत्तात्रय बहिरट (Dattatray Bahirat) 53 हजार 603 (39.98 %) वोटों के साथ दूसरे स्‍थान पर रहे थे और पुणे कैन्टोन्मेंट विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के रमेश बागवे (Bagwe Ramesh) 47 हजार 148 (37.25%) वोट के साथ दूसरे स्‍थान पर रहे. इस तरह से कांग्रेस को कुल 1 लाख 74 हजार 60 वोट मिले थे और यह राष्ट्रवादी की तुलना में ज्‍यादा है.

2017 के स्थानीय स्वराज्य संस्था के चुनाव में राष्ट्रवादी को मुंबई में (2 लाख 84 हजार), अन्य 9 महापालिका में (34 लाख, 17 हजार) जबकि जिला परिषद में (56 लाख 93 हजार) वोट मिले. राष्ट्रवादी के कुल वोटों की संख्‍या 92 लाख के आसपास है. जबकि कांग्रेस को मुंबई में (8 लाख 29 हजार), अन्य 9 महापालिका में (30 लाख) जबकि जिला परिषद में (49 लाख 72 हजार) वोट मिले. कांग्रेस के कुल वोटों की संख्या 89 लाख है. मनसे को मुंबई (Mumbai) में चार लाख और अन्य महापालिका में 9 लाख वोट मिले. एमआईएम (MIM) को मुंबई में 2.55% वोट मिले है.

पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र पर राष्ट्रवादी दावा कर रही है लेकिन इस निर्वाचन क्षेत्र से प्रबल व प्रभावी उम्‍मीदवार अभी तक इच्छुक के रुप में आगे नहीं आए है केवळ शहराध्यक्ष प्रशांत जगताप (Prashant Jagtap NCP) ने चुनाव लड़ने की इच्‍छा जताई है लेकिन शिरूर लोकसभा (Shirur Lok Sabha constituency) के तहत आने वाला हडपसर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र (Hadapsar Assembly Constituency) उनका कार्यक्षेत्र है. पूर्व महापौर व राष्ट्रवादी के शहराध्यक्ष के तौर पर पुणे के मध्‍य भाग में उन्‍हें कितना पसंद किया जाता है इसे लेकर पार्टी के अंदर से ही आशंका जताई जा रही है. राष्ट्रवादी की तुलना में कांग्रेस की तरफ से पूर्व विधायक मोहन जोशी (Mohan Joshi Congress) की उम्मीदवारी प्रभावी साबित हो सकती है. उन्‍हें पिछले 3 लोकसभा चुनाव लड़ने का अनुभव है और इन चुनावों में उन्‍हें दूसरे नंबर पर वोट मिले थे. ऐसे में पिछले चुनाव के मतदान की तुलना में भाजपा के बाद कांग्रेस की दावेदारी लोकसभा क्षेत्र में ज्‍यादा मजबूत नजर आ रही है.

पुणे जिले के चार लोकसभा में से तीन सीटों पर राष्ट्रवादी कांग्रेस, जबकि पुणे शहर से कांग्रेस चुनाव लडती है. महाविकास आघाडी (Mahavikas Aghadi) के गठन के बाद तीनों दलों में सीटों के वितरण को लेकर रस्साकशी जारी है. इसे देखते हुए पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र सीट कांग्रेस से अपनी तरफ खींचने का राष्ट्रवादी का प्रयास जारी है.

इस निर्वाचन क्षेत्र में पिछले दो चुनावों में भाजपा के अनिल शिरोले (Former MP Anil Shirole) और गिरीश बापट (Late MP Girish Bapat) ने तीन लाख से अधिक वोटों के अंतर से जीत दर्ज की है. बापट के निधन से यह सीट खाली हुई है. इस सीट पर उपचुनाव होने की संभावना को मानकर सभी राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है. कांग्रेस-राष्ट्रवादी आघाडी के सीट वितरण में पिछले कई वर्षों से यह सीट कांग्रेस के पास रही है. ऐसे में यह सीट कांग्रेस को मिले. महाविकास आघाडी के नेता सीट वितरण का निर्णय लेंगे. यह बात कांग्रेस के पूर्व विधायक मोहन जोशी (Former MLA Mohan Joshi) ने कही है.

राष्ट्रवादी कांग्रेस के गठन के बाद 1999 के लोकसभा चुनाव में दोनों ही पार्टियां आमने सामने खडी थी. उस वक्‍त भाजपा के प्रदीप रावत (Pradeep Rawat) ने 42 फीसदी वोट हासिल कर विजयी हुए थे. दूसरे नंबर पर कांग्रेस के मोहन जोशी को 29 फीसदी, जबकि राष्ट्रवादी के उम्मीदवार व तत्कालीन सांसद विठ्ठल तुपे (Former MP Vittal Tupe) को 27 फीसदी वोट मिले थे. इसके बाद दोनों पार्टियों ने राज्‍य में गठबंधन किया. 2004 में कांग्रेस के सुरेश कलमाडी (Suresh Kalmadi) करीब पौने लाख वोटों से जीते थे, जबकि 2009 में निर्वाचन क्षेत्र का पुनर्गठन होने के बाद कलमाड़ी का वोट 25 हजार तक गिर गया था. उस वक्‍त मनसे को 75 हजार वोट मिले थे. कांग्रेस-राष्ट्रवादी की ताकत उपनगरों में ज्‍यादा है. इसलिए पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का पुनर्गठन होने के बाद भाजपा की ताकत बढ़ गई् है. पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के छह विधानसभा में से राष्ट्रवादी के पास एक निर्वाचन क्षेत्र वडगांव शेरी है, कसबा पेठ निर्वाचन क्षेत्र कांग्रेस के रवींद्र धंगेकर ने उपचुनाव में भाजपा से छीन ली है. पुणे कैन्टोन्मेंट और शिवाजीनगर निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के उम्‍मीदवारों ने अच्‍छी चुनौती पेश की. दोनों सीटों पर कांग्रेस बेहद कम वोटों से हारी.

पुणे महापालिका के 2017 के चुनाव में राष्ट्रवादी के 42 नगरसेवक चुनकर आए, जबकि कांग्रेस के 10 नगरसेवक चुनकर आए थे. लेकिन, कांग्रेस के दसों नगरसेवक पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र के है, जबकि इस भाग में राष्ट्रवादी कांग्रेस के नगरसेवकों की संख्या 13 थी. राष्ट्रवादी के शेष 29 नगरसेवक हडपसर व खडकवासला निर्वाचन क्षेत्र प्रभाग से चुनकर आए थे. विधायक और नगरसेवकों की संख्या की तुलना में मतदान की संख्या में राष्ट्रवादी की तुलना में कांग्रेस को बढत प्राप्‍त है.

पुणे लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा की ताकत राष्ट्रवादी व कांग्रेस की तुलना में ज्‍यादा है. गठबंधन व महाविकास आघाडी में सामना होने पर चुनाव कांटे की होगी. भाजपा की तरफ से दिवंगत सांसद गिरीश बापट के परिवार को उम्‍मीदवारी दिए जाने की संभावना है. महापौर प्रशांत जगताप ने यहां से चुनाव लड़ने की इच्‍छा जताई है.

पूर्व विधायक मोहन जोशी, रोहित तिलक (Rohit Tilak), पूर्व उपमहापौर दीपक मानकर (Deepak Mankar), अरविंद शिंदे (Arvind Shinde), पूर्व मंत्री रमेश बागवे ने मोर्चेबंदी शुरू कर दी है. जबकि भाजपा में नौ दस महीने के लिए सांसद बनने के लिए पूर्व विधायक मेधा कुलकर्णी (Medha Kulkarni), पूर्व महापौर मुरलीधर मोहोल (Muralidhar Mohol), शहराध्यक्ष जगदीश मुलीक (Jagdish Mulik), बापट की बहू स्वरदा बापट (Swarada Bapat) इच्‍छुक है. जून आखिर तक

मतदान कराने पर विचार हो रहा है. यह चुनाव आयोग की प्रक्रिया से नजर आ रहा है. संसद की सदस्यता के केवल कुछ महीने बचे है. ऐसे में अल्पकालीन सांसद बनने के इच्छुकों की संख्या भी नगण्य नजर आ रही है.

 

Web Title :  Pune Loksabha By Election 2023 | After BJP in Pune Lok Sabha Constituency, only Congress is strong; NCP is not favorable