सबरीमाला मंदिर : महिलाओं के सम्मान में सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला 

नई दिल्ली | समाचार ऑनलाइन 

केरल के सबरीमाला के अयप्पा मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर आज सुबह सुप्रीम ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार अब सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाएं जा सकती है। मंदिर का 53 साल पुराना कानून आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बदल दिया गया।  फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि आस्था के नाम पर लिंगभेद नहीं किया जा सकता है। महिलाओं के लिए दोहरा मापदंड उनके सम्मान को कम करता है।

कोर्ट के फैसले के बाद त्रावणकोर देवास्वोम बोर्ड के अध्यक्ष ए पद्मकुमार ने कहा कि, हम दूसरे धार्मिक गुरुओं का समर्थन लेकर इस फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे।
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कोर्ट ने अपना फैसला सुनते हुआ कहा, ” महिलाएं दिव्यता और अध्यात्म की खोज में बराबर की हिस्सेदार है। बनी बनाई मान्यताएं इसके आड़े नहीं आने चाहिए। समाज को भी वक़्त के साथ सोच में बदलाव लाना होगा, महिलाएं पुरुषों समान है”। कोर्ट ने कहा. “ऐसी सोच आध्यात्मिक मामलों में आड़े नहीं आना चाहिए। धर्म के पालन का मौलिक अधिकार पुरुष और महिला को एक समान उपलब्ध है।
इस फैसले के लिए पांच जजों की बेंच बैठी थी। सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्‍यीय पीठ ने 4:1 से यह फैसला सुनाया है। चार जजों ने अलग-अलग फैसला पढ़ा लेकिन सभी  निष्कर्ष एक ही था।  जजों ने फैसला पढ़ा उनमे चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस चंद्रपूर्ण, जस्टिस नरीमन, जस्टिस इंदु मल्होत्रा शामिल थे।