दीनदयाल उपाध्याय पर बनने वाली फिल्म की शूटिंग शुरु, मौत का रहस्य आएगा बाहर 

भारतीय राजनीति के वह सितारे जो अपनी चमक बिखेरने से पहले ही इस दुनिया से कूच कर गए। जिनकी मौत आज भी एक रहस्य है। उनकी लाश मुग़ल सराय स्टेशन के नजदीक पटरियों पर पायी गयी थी। एक ऐसा सितारा जो अब हमारे बीच नहीं है “पंडित दीनदयाल उपाध्याय” ,अभी हाल ही में मुगलसराय स्टेशन का नाम बदल कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय कर दिया गया जिसकी चर्चा जोरो शोरो से हुई। अब दीनदयाल की मौत से पर्दा उठाने के लिए बॉलीवुड फिल्म ‘दीनदयाल एक युगपुरुष’ बन रही है। यह फिल्म आधी उनके जीवन पे आधारित होगी और आधी उनके मौत के रहस्य को उजागर करेगी।

फिल्म के लेखक धीरज मिश्र है, जो की इससे पहले कई बायॉपिक बना चुके हैं जिनमें से ‘जय जवान जय किसान’ और ‘चापेकर ब्रदर’ प्रमुख है। बतौर धीरज इस फिल्म की पटकथा के अध्यन के बाद तैयार की गयी है जिसमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जीवन से जुडी खास घटनाओ के अलावा उनकी मौत के भी रहस्य को दिखाया जायेगा। प्रसिद्ध कलाकार इमरान हसनी सीनियर दीनदयाल की भूमिका में हैं जबकि निखिल पितले युवा दीनदयाल की भूमिका निभा रहे है। दीनदयाल आखिरी बार अपनी मुहबोली बहन लता खन्ना के यहां रुके थे। लता खन्ना की भूमिका एक्ट्रेस अनीता राज कर रही हैं जो की लम्बे समय बाद रुपहले पर्दे पे दिखाई देंगी।

हिन्दू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय संस्कृति हैं 

पण्डित दीनदयाल  उपाध्याय महान चिंतक थे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानव दर्शन जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानववाद के दर्शन पर श्रेष्ठ विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने अपनी पुस्तक एकात्म मानववाद (इंटीगरल ह्यूमेनिज्म) में साम्यवाद और पूंजीवाद, दोनों की समालोचना की गई है। एकात्म मानववाद में मानव जाति की मूलभूत आवश्यकताओं और सृजित कानूनों के अनुरुप राजनीतिक कार्रवाई हेतु एक वैकल्पिक सन्दर्भ दिया गया है। दीनदयाल उपाध्याय का मानना है कि हिन्दू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय संस्कृति हैं।

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय की  मौत

 11 फरवरी, 1968 को पं. दीनदयाल का रहस्यमय तरीके से मौत हो गई। मुगलसराय रेलवे यार्ड में उनकी लाश मिलने से सारे देश में शौक की लहर दौड़ गई थी। अपने प्रिय नेता के खोने के बाद भारतीय जगसंघ के कार्यकार्ता और नेता आनाथ हो गए थे। पार्टी को इस शोक से उबरने में बहुत सी समय लगा। उनकी इस तरह हुई हत्या को कई लोगों ने भारत के सबसे बुरे कांडों में से एक माना ,पर सच तो यह है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जैसे लोग समाज के लिए सदैव अमर रहते हैं।