भय्यूजी के अंतिम संस्कार से क्यों दूर रहे बड़े नेता, क्या छिपा रही है पुलिस?

इंदौर: भय्यूजी महाराज का बुधवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनकी बड़ी बेटी कुहू ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे, लेकिन दिग्गज नेताओं से दूरी बनाये रखी। सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात यह है कि मध्यप्रदेश का कोई भी बड़ा नेता शामिल नहीं हुआ। भय्यूजी के अंतिम संस्कार में महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग आए। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने अपने ओएसडी को भेजा। शिवसेना के एक सांसद और दो विधायक भी अंतिम संस्कार में मौजूद रहे। मगर न तो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वहां पहुंचे और न ही इंदौर के बड़े नेता कैलाश विजयवर्गीय। इन नेताओं की गैरमौजदगी ने कई सवालों को जन्म दिया है। इसके साथ ही भय्यूजी की आत्महत्या को लेकर कांग्रेस ने जो आरोप लगाये थे, उनको फिर से हवा मिल गई है।

पीएम के करीबी माने जाते थे
भय्यूजी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी माना जाता था, लेकिन अंतिम संस्कार में पीएम या उनका कोई प्रतिनिधि भी भी शामिल नहीं हुए। राज्य सरकार के मंत्रियों ने भी इससे दूरी बनाये रखी। आपको बता दें कि शिवराज सरकार ने मध्यप्रदेश में जिन पांच संतों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया था, उसमें भय्यूजी महाराज भी थे। हालांकि उन्होंने इसे ठुकरा दिया था।

इन सवालों का नहीं है जवाब
उधर, पुलिस को लेकर भी अब सवाल खड़े हो गए हैं। हर एंगल से जांच की बात करने वाली पुलिस अब यह मान बैठी है कि भय्यूजी महाराज ने पारिवारिक कलह के चलते खुद को गोली मारी। शायद यही वजह है कि अब उनके मोबाइल की कॉल डीटेल और अन्य मुद्दों पर पुलिस बात ही नहीं कर रही है। साथ ही पुलिस यह भी नहीं बता रही है कि आखिर ऐसी क्या वजह रही कि पुणे जा रहे भय्यू जी बीच रास्ते से वापस लौट आए? वापस आकर वह एक रेस्तरां में किस महिला से मिले थे?

क्या कुछ ऐसा जान लिया….
रेस्तरां के सीसीटीवी फुटेज में उस महिला की गाड़ी का नंबर भी साफ दिखाई दे रहा है। सूत्रों के अनुसार, भय्यूजी महाराज के मोबाइल की प्राथमिक जांच के दौरान जो तथ्य सामने आए हैं वे उनकी छवि के अनुरूप नही हैं। यही वजह है कि पुलिस अधिकारियों ने मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ नेताओं को अंतिम संस्कार में न आने की सलाह दी गई। कहा तो यह भी जा रहा है कि अब पुलिस भय्यूजी के मोबाइल डीटेल्स पर ज्यादा ध्यान न देकर आत्महत्या को पारिवारिक कलह तक सीमित रखना चाहती है।