क्या रेड कॉर्नर नोटिस से भारत आ पाएगा नीरव मोदी?

पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के मुख्य आरोपी नीरव मोदी को क्या अब भारत वापस लाया जा सकता है? अंतरराष्ट्रीय एजेंसी इंटरपोल द्वारा मोदी के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद यह सवाल पूछा जाने लगा है। भारत सरकार ने कुछ वक़्त पहले इंटरपोल से नोटिस जारी करने की अपील की थी, शुरुआत में इस अपील पर इंटरपोल की ओर से कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई, लेकिन अब रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो गया है। रेड कॉर्नर नोटिस से मोदी और भारत की उसे लाने की कोशिशों पर क्या प्रभाव पड़ेगा यह समझने के लिए हमें सबसे पहले यह जानना ज़रूरी है कि आखिर ये नोटिस होता क्या है?

क्या होता है ये नोटिस?
जब दो देशों के बीच प्रत्यर्पण का मामला सामने आता है तो संबंधित व्यक्ति की लोकेशन का पता लगाने के लिए ये नोटिस जारी किया जाता है। ये कोई गिरफ़्तारी वारंट नहीं है और न ही ये सुनिश्चित करता है कि जिसके खिलाफ यह जारी हुआ है उसे संबंधित देश वापस भेज ही दिया जायेगा। इंटरपोल नोटिस के तहत सिर्फ इस ये बताता है कि व्यक्ति विशेष के खिलाफ किसी देश में स्थानीय संस्थाओं द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी है।

कैसे होता है जारी?
रेड कॉर्नर नोटिस के लिए संबंधित देश की एजेंसियां इंटरपोल से संपर्क करती हैं। संबंधित व्यक्ति अपराधी है, इस संबंध में कागज़ी कार्रवाई पूरी की जाती है, इसके बाद अनुरोध पर प्रधान सचिवालय द्वारा किसी संबंधित देश के गिरफ्तारी वारंट के आधार पर यह नोटिस जारी किया जाता है। नीरव मोदी के मामले में इसे भारत सरकार के अनुरोध पर जारी किया गया है। यह केवल सदस्य देशों के बीच ही जारी किया जा सकता है। नीरव मोदी से पहले भारत सरकार के अनुरोध पर 160 लोगों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो चुका है। जिसमें दाऊद इब्राहम, मसूद अजहर सहित कई बड़े नाम शामिल हैं।

क्या होगा असर?
अब तक जो ख़बरें सामने आई हैं, उनके मुताबिक नीरव मोदी एक देश से दूसरे देश हवाई यात्राएं कर रहा है। लेकिन रेड कॉर्नर नोटिस जारी होने के बाद कम से कम इस मामले में उसकी मुश्किलें बढ़ जाएंगी। हालांकि, ऐसा नहीं होगा कि उसे किसी एयरपोर्ट पर देखते ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा, लेकिन तमाम तरह की परेशानियां ज़रूर आएंगी। ये नोटिस हमेशा के लिए रहेगा ऐसा नहीं होता, जब आईपीएल मामले में ललित मोदी के खिलाफ नोटिस जारी हुआ था,. तो उनके वकील की आपत्ति के बाद इसे हटा दिया गया था।

कितना मुमकिन है?
अगस्तावेस्टलैंड से 3600 करोड़ रुपए के वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे में कथित रूप से बिचौलिए बताए जाने वाले दो इतालवी नागरिकों कालरे गेरोसा और गुइडो राफ हाश्के के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था। इसी तरह 2013 में ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चियन माइकल जेम्स के खिलाफ भी भारतीय एजेंसियों के अनुरोध पर यह नोटिस जारी हुआ था, लेकिन आज तक वह भारत नहीं लाया जा सका है।

वैसे ये हैं उदाहरण
वैसे नहीं है कि रेड कॉर्नर नोटिस से भारत को कभी भी फायदा नहीं हुआ। साल 2015 में दाऊद का करीब छोटा राजन भी इसी नोटिस की वजह से भारत आ पाया था. इसके अलावा साल 2002 में डॉन अबू सलेम भी इसी कारण भारत की गिरफ्त में आ सका था।