पति को मारने का प्रयास करने वाली महिला कोर्ट से बरी

पुणे । समाचार ऑनलाइन

सेशन कोर्ट ने अपने पति को मारने का प्रयास करने वाली 32 वर्षीय महिला को बरी कर दिया है। सेशन कोर्ट ने महिला को बरी करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष महिला द्वारा अपने पति को मारने का प्रयास करने के आरोपों को साबित करने में असफल रहा है।

मुल्शी तालुका में मनगांव की निवासी नीता दादर ने 14 अगस्त 2016 को अपने पति पर केरोसिन डालकर उसे आग लगाने का प्रयास किया था। हत्या के प्रयास के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 के तहत नीता के ऊपर मामला दर्ज किया गया था।

नीता अपने पति दादा दादर और बेटे के साथ मनगांव में श्रम कॉलोनी में रह रही थी। दोनों पति- पत्नी वहीं पर ईंट भट्ठे
पर काम करते थे। दादा को अक्सर शराब पीने की आदत थी जिसकी वजह से दोनों में अक्सर लड़ाई होती रहती थी। इस घटना के दिन, दादा कुछ घरेलू सामान लेने के लिए हिंजेवाड़ी गए थे। वह शाम 7 बजे घर लौटे। रात के खाने के बाद, नीता ने उससे मजदूरी के पैसे को लेकर झगड़ा शुरू कर दिया और कहा कि यह बहुत कम है, वह और अधिक पैसा चाहती थी।

दादा ने उसे यह समझाने की कोशिश की कि वह अगले हफ्ते उसे पैसा देगा, लेकिन इस बात से शांत होने की बजाय वह और भड़क गई। गुस्से में आकर उसने स्टोव से केरोसिन तेल लिया और दादा पर डाला दिया और माचिस की तीली जलाकर उनपर फेंक दिया। दादा ने किसी तरह से अपनी शर्ट को निकाला और आग से बच पाए। उसके बाद उन्होंने अपने भाई महादेव को बुलाया, जो उन्हें ससून जनरल अस्पताल ले गए। आग की वजह से उनका चेहरा, गला, गर्दन, छाती, पीठ और दाहिना हाथ झुलस गया था। इलाज के बाद, उन्होंने हिंजेवाड़ी पुलिस स्टेशन में अपनी पत्नी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस ने अपने पति की हत्या करने के प्रयास में नीता को 15 अगस्त को गिरफ्तार कर लिया। नीता ने अपनी कानूनी सहायता के लिए जिला कानूनी सहायता सेवा प्राधिकरण में आवेदन किया। वकील संजय कोल्हात्कर ने सत्र अदालत में उसकी ओर से उसका केस लड़ा। मुकदमे की सुनवाई के दौरान, सरकारी अभियोजक ने बताया कि चिकित्सा और जांच अधिकारियों के बयान से साफ पता चलता है कि आरोपी का इरादा अपने पति को मारने का था। लेकिन मुकदमे के दौरान रिकॉर्ड में आया कि दादा के भाई ने नीता पर हमला किया और दुर्व्यवहार किया था।

नीता के वकील कोल्हात्कर ने कहा, साक्ष्य में बड़े विरोधाभास थे। पति-पत्नी ईंट भट्ठे के बगल में रह रहा था लेकिन अभियोजन पक्ष ने उस क्षेत्र के किसी भी गवाह की जांच नहीं की जहां सभी मजदूर रह रहे थे। इसके अलावा चिकित्सा अधिकारी ने अपनी रिपोर्ट में केवल ‘जला’ शब्द का उल्लेख किया, लेकिन चोट की प्रकृति नहीं बताई।

पंनचनामा बनाते समय पुलिस को कमरे में कोई जला हुआ कपड़ा या अन्य जली चीज नहीं मिली। इन परिस्थितियों से पता चलता है कि जलने की कोई घटना नहीं हुई थी।