तीसरी बार भी बीच में ही चली गई येदियुरप्पा की कुर्सी

बेंगलुरु: बहुमत परीक्षण से पहले ही बीएस येदियुरप्पा ने इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफ़ा देने से पहले येदियुरप्पा ने भावुक भाषण दिया। उन्होंने कहा कि मेरे पास संख्या नहीं है, यदि 113 सीट होती तो स्थिति कुछ अलग होती। चुनाव कब आएंगे मैं नहीं जानता हूं, पांच साल बाद भी आ सकता है और उससे पहले भी, मैं राज्य के हर क्षेत्र में जाउंगा और वहां यहां का हाल बताउंगा। कांग्रेस और जेडीएस विधायकों की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा, जो उस तरफ बैठे हुए सदस्य है उनमे से कुछ लोग हमारी मदद करने की सोच रहे थे, लेकिन मैं राज्य की जनता को आश्वासन देता हूं। जब तक मेरी श्वास चलेगी मैं हर जगह जाउंगा फिर जीतकर आउंगा। अगर मुझे बहुमत दिया होता तो राज्य की हालत ही बदल जाती, लेकिन संख्या मेरे साथ नहीं है।

येदियुरप्पा अब तक अपना एक भी कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए हैं। इससे पहले जब राज्य में भाजपा सरकार थी तब भी उन्हें खनन घोटाले के चलते इस्तीफा देना पड़ा था। वह पहली बार 12 नवंबर, 2007 को कर्नाटक के मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन आठवें ही दिन 19 नवंबर, 2007 को उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। दरअसल, मुख्यमंत्री पद पर बराबर-बराबर वक्त तक रहने के समझौते के तहत येदियुरप्पा ने एचडी कुमारस्वामी को फरवरी, 2006 में मुख्यमंत्री बनवा दिया था, लेकिन जब अक्टूबर, 2007 में येदियुरप्पा के मुख्यमंत्री बनने का वक्त आया, तो कुमारस्वामी समझौते से मुकर गए। येदियुरप्पा के दल ने समर्थन वापस ले लिया, और राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।

भ्रष्टाचार की आंच
नवंबर, 2007 में राष्ट्रपति शासन खत्म हुआ, जब कुमारस्वामी ने समझौते का सम्मान करने का वचन दिया, और 12 नवंबर, 2007 को येदियुरप्पा पहली बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद पर विराजमान हुए, लेकिन कुछ ही दिन बाद मंत्रालयों में बंटवारे को लेकर मतभेदों के चलते येदियुरप्पा को 19 नवंबर, 2007 को ही इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद वर्ष 2008 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा  को शानदार जीत मिली, और येदियुरप्पा 30 मई, 2008 को दूसरी बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बन गए। इस कार्यकाल के दौरान उन पर राज्य के लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार के मामलों में उनका नाम लिया, और पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व के ज़ोरदार दबाव की वजह से उन्होंने 31 जुलाई, 2011 को पद से इस्तीफा दे दिया।